अगलगी की घटनाओं से निपटने के लिए सभी व्यवस्थाएं रखें अपडेट : जिलाधिकारी।







बेतिया, 24 मार्च। पश्चिम चंपारण जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने आज कहा कि गर्मी का मौसम प्रारंभ होने वाला है। गर्मी के दिनों में विभिन्न जगहों पर अगलगी की घटनाएं हो सकती हैं। अगलगी की घटनाओं से निपटने हेतु सभी व्यवस्थाएं अपडेट रखी जाय। उन्होंने कहा कि अग्निकांड पीड़ितों को अनुमान्य सहायता यथा-पाॅलिथिन शीट, नकद अनुदान तथा वस्त्र एवं बर्तन के लिए अनुदान की व्यवस्था सुनिश्चित किया जाय। साथ ही घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था भी की जाय। वहीं अग्निकांड में मृतक के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान का भुगतान अविलंब किया जाय। उन्होंने कहा कि जले एवं क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वेंक्षण कर इसका जियोटैगिंग एवं फोटोग्राफी कराकर गृह क्षति अनुदान का भुगतान अविलंब कराना सुनिश्चित किया जाय। जिलाधिकारी, कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित समीक्षात्मक बैठक में अधिकारियों को निदेशित कर रहे थे।


जिलाधिकारी ने कहा कि भीषण अग्निकांड से प्रभावित क्षेत्रों में विशेष राहत केन्द्र संचालित करने की सभी व्यवस्थाएं अविलंब पूर्ण कर ली जाय। विशेष राहत केन्द्रों के संचालन की स्थिति में कोरोना वायरस संक्रमण के वर्तमान परिदृश्य में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क एवं अन्य स्वास्थ्य मानकों का अनुपालन आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि अग्निकांड से संबंधित घटनाओं के पर्यवेक्षण एवं सहायता कार्य के अनुश्रवण हेतु जिलास्तर पर आपातकालीन संचालन केन्द्र को अविलंब कार्यशील कर दिया जाय। आपातकालीन संचालन केन्द्र में सभी आवश्यक संसाधन यथा-टेलीफोन, फैक्स, पदाधिकारी, कर्मी, रजिस्टर आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। साथ ही आपातकालीन संचालन केन्द्र के दूरभाष संख्या का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार सुनिश्चित किया जाय ताकि अग्निकांड की स्थिति में जिलेवासी सूचना दें सकें और जिला प्रशासन त्वरित गति से राहत कार्य में जुट जाय।


उन्होंने कहा कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियों तथा कर्मियों को सभी आवश्यक संसाधनों के साथ हमेशा अलर्ट मोड में रहना है। अगर कोई फायर ब्रिगेड की गाड़ी खराब है तो तुरंत इसकी मरम्मति करा ली जाय। साथ ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सुदूर इलाकों में समय पर पहुंच सकें, इसके लिए यथा संभव अनुमंडल मुख्यालयों, थानों में गाड़ियों को रखने की व्यवस्था कर ली जाय।


जिला पंचायती राज पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत की मदद से फायर बूथों की स्थापना की जाय। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए फायर बूथ की स्थापना लाभप्रद सिद्ध हो सकती है। प्रत्येक गांव में फायर बीटर्स, फायर टैंक, बाल्टी, रस्सी एवं कुल्हाड़ी आदि छोटे-छोटे अग्निशमन उपकरण सार्वजनिक स्थल पर रखवाने की व्यवस्था की जाय।


सिविल सर्जन को निदेश दिया गया कि सभी सरकारी अस्पतालों में अग्निकांड से पीड़ित व्यक्तियों के समुचित इलाज की सभी व्यवस्थाएं अपडेट रखी जाय। साथ ही आवश्यक दवाईयों सहित डाॅक्टर, कर्मी की रोस्टर वाइज उपस्थिति, एंबुलेंस की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।


प्रखंड विकास पदाधिकारियों एवं अंचल अधिकारियों को निदेश दिया गया कि अपने क्षेत्र में अग्निकांड की रोकथाम हेतु विभिन्न प्रचार माध्यमों से लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाना सुनिश्चित करेंगे। जागरूता अभियान में हवा के झोंके के तेज होने के पहले ही खाना पकाकर चूल्हे की आग को पानी से पूरी तरह बुझा दें, चूल्हे की आग की चिंगारी पूरी तरह बुझी हो, इसे सुनिश्चित कर लिया जाय, घर से बाहर जाते समय बिजली का स्विच ऑफ हो, इसे सुनिश्चित किया जाय। खाना वैसी जगह पकाया जाय, जहां हवा का झोंका न लगे, बीड़ी-सिगरेट पीकर इधर-उधर या खलिहान की तरफ न फेंके, गांव/मोहल्लों में जल एवं बालू संग्रहण की व्यवस्था रखी जाय ताकि आग पर काबू पाया जा सके आदि सुझावों को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित-प्रसारित किया जाय।


इसके साथ ही आगजनी से बचाव हेतु अन्य उपायों को व्यापक स्तर पर प्रचारित-प्रसारित करने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार द्वारा आगजनी से बचाव हेतु जारी क्या करें-क्या नहीं करें का विभिन्न माध्यमों से प्रचारित-प्रसारित कराया जाय। आगजनी से बचाव हेतु क्या करें-क्या नहीं करें इस प्रकार हैः-


क्या करेंः-

1. स्टोव या लकड़ी, गोइठा आदि के जलावन वाले चूल्हे पर खाना बनाते समय सावधानी बरतें। हमेशा सूती वस्त्र पहनकर ही खाना बनावें।

2. गेहूं ओसानी का काम हमेशा रात में तथा गांव के बाहर खलिहान में जाकर करें।

3. घर व खलिहान पर समुचित पानी व बालू की व्यवस्था रखें।

4. खाना पकाते समय रसोईघर में वयस्क मौजूद रहें, बच्चों को अकेला न छोडें।

5. खिड़की से स्टोव के बर्नर तक हवा न पहुंच पाए, इस बात की पूरी तसल्ली कर लें।

6. सरकारी सहायता पाने के उदेश्य से जान बूझकर अपनी सम्पति में आग लगाने वालों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने में प्रशासन की मदद कर जागरूक नागरिक अवश्य बनें।

7. तौलिये या कपड़े का इस्तेमाल सावधानी से गर्म बर्तन उतारने के लिए करें।

8. तैलीय पदार्थ से लगी आग पर पानी न डालें या सिर्फ बेकिंग सोडा, नमक डालें या उसे ढंग दें।

9. खिड़की के बाहर कोई चादर या तौलिया लटका दें ताकि बाहर लोगों को पता चल सके कि आप कहां हैं और आपको मदद चाहिए।

10. गैस चूल्हे का इस्तेमाल करने के तुंरत बाद सिलिंडर का नाॅब तुरंत बंद कर दें।

11. बिजली तारों एवं उपकरणों की नियमित जांच करें।

12. घर में अग्निशमन कार्यालय तथा अन्य आपातकालीन नंबर लिखा हुआ हो और घर के सभी सदस्यों को इन नंबरों के बारे में पता हो।

13. आग लगने पर दमकल विभाग को फोन करें और उन्हें अपना पूरा पता बतायें फिर दमकल विभाग जैसा कहें वैसा ही करें।



क्या न करेंः-


1. बच्चों को माचिस या आग फैलाने वाले एवं अन्य सामानों के पास न जाने दें।

2. बीड़ी, सिगरेट, हुक्का आदि पीकर जहां-तहां न फेंके, उसे पूरी तरह बुझने के बाद ही फेंके।

3. चूल्हा, ढ़िबरी, मोमबत्ती, कपूर आदि जलाकर न छोड़ें।

4. अनाज के ढ़ेर, फूस या खपड़ैल की झोपड़ी के निकट अलाव व डीजल इंजन नहीं चलाएं।

5. सार्वजनिक स्थलों, ट्रेनों एवं बसों आदि में ज्वलनशील पदार्थ न ले जाएं।

6. आपके कपड़े में अगर आग लग जाए तो दौड़ना नहीं चाहिए बल्कि जमीन पर लेटकर गोल-गोल कर आग बुझावें।

7. खाना बनाने के समय ढ़ीले-ढ़ाले कपड़े न पहनें।

8. अग्नि दुर्घटना के दौरान कभी भी लिफ्ट का प्रयोग नहीं करें।

9. गैस की दुर्गंध आने पर बिजली के स्वीच को न छुएं।

10. खाना पकाते समय रसोईघर में बच्चों को अकेला न छोड़ें।


समीक्षा बैठक में उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, सिविल सर्जन सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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