बिहार विधानसभा में पुलिस की गुण्डागर्दी लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन : माले





बेतिया, 24 मार्च।  बिहार विधानसभा से विपक्ष के  विधायकों को पुलिस द्वारा घसीटते हुए बाहर निकालने और फिर लात-घूसों से उनकी बर्बर पिटाई के खिलाफ बेतिया में भाकपा-माले ने धिक्कार दिवस मनाया, भाकपा-माले कार्यकर्ताओ ने रेलवे स्टेशन से जिला समाहरणालय के सामने तक  धिक्कार मार्च किया, बिहार विधानसभा को लोकतंत्र की कब्र बनाने वाले नीतीश कुमार शर्म करो,बिहार में पुलिस राज नहीं चलेगा, लोकतंत्र की हत्यारा नीतीश कुमार हाय हाय, लोकतंत्र की मंदिर विधानसभा को कलंकित करने वाले नीतीश कुमार मुर्दाबाद, नया काला पुलिस बिल वापस लो। संवैधानिक लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था वाले बिहार को पुलिस राज में तब्दील करने की साजिश नहीं चलेगी।आदि नारा लगा रहे थे, सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले जिला कमिटी सदस्य सुनील कुमार राव ने कहा कि विधानसभा में जो हुआ वह  लोकतंत्र के इतिहास में एक काला दिन है. आगे कहा कि भाजपा-जदयू लोकतंत्र की हत्या करके बिहार को फासीवादी शासन की ओर धकेलना चाहती है.

आगे कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक, 2021 में जो आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं, उसका नजारा आज विधानसभा के अंदर ही देखने को मिल गया. जब जनता के चुने हुए प्रतिनधियों के साथ सरकार ऐसा व्यवहार कर सकती है तो सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा-जदयू बिहार को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं?


इंकलाबी नौजवान सभा( इनौस) फरहान रजा ने कहा कि पुलिस ने महिला विधायकों तक को नहीं छोड़ा. पुलिस के अलावा सिविल ड्रेस में और भी दूसरे लोग थे जो विपक्ष के विधायकों पर जानलेवा हमले कर रहे थे.पुलिस द्वारा विपक्ष के विधायकों को पिटवाकर विधेयक पास करवाना कौन सा लोकतंत्र है? बिहार की जनता सबकुछ देख रही है. आगे कहा कि  सरकार की धृष्टता देखिए कि उसने भगत सिंह के शहादत दिवस पर इस काले बिल  को पेश किया है! यह, न केवल भगत सिंह के साथ बल्कि   हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के तमाम शहीदों के साथ भद्दा मजाक है,उनका अपमान है। मौलिक तौर पर ऐसा  सोच संघ-भाजपा का है। मगर कुर्सी कुमार भी आजकल वही सोच का एजेंट बन गए हैं।


इंसाफ़ मंच के जिला अध्यक्ष अखतर इमाम ने कहा कि भाजपा-जदयू सरकार का नया पुलिस बिल--बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बिल-- मणिपुर व कश्मीर में लागू आफ्सपा(आर्म्ड फोर्सेज-स्पेशल पावर्स-एक्ट) से बहुत कुछ मिलता-जुलता है।वह घोर दमनकारी बर्बर कानून है जिसे काला कानून ही कहा जाता है। इस कानून को खत्म करने  के लिए बहुत मांगें उठती रही हैं, इनके अलावा भाकपा-माले नेता इसलाम अंसारी, शौकत अली,  शेख भोला, खुर्शीद शेख, भगेलू राम,शेख महाजन, जोखू चौधरी, विनोद कुशवाहा, मुजमिल मियां, ठाकुर साह, जवाहर प्रसाद, इनौस नेता संजय मुखिया आदि नेताओं ने भी सभा को संबोधित करते हुए कहा कइ काला कानून के खिलाफ हमारी लड़ाई विधानसभा के अंदर व बाहर जारी रहेगी


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