नई दिल्ली। देश मे कोरोना संक्रमण के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत से पूरा देश परेशान है। इस संकट का हल पेटेंट लॉ (कानून) में बदलाव कर निकाला जा सकता है। इस इंजेक्शन को बनाने का पेटेंट अमेरिकी कंपनी के पास है और देश में छह कंपनियां इस कानून के तहत मूल कंपनी के साथ अनुबंधित हैं। यह कंपनियां इंजेक्शन का उत्पादन कर देश को उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं, क्योंकि वे कानूनी रूप से बाध्य हैं। यदि पेटेंट संबंधी कानून में भारत सरकार आपात स्थितियों को देखते हुए एक महीने के लिए भी विशेष प्रविधानों के तहत संशोधन कर दे तो देशभर से इस इंजेक्शन का संकट समाप्त हो सकता है।दरअसल, रेमडेसिविर का मूल पेटेंट अमेरिका की जिलियार्ड लाइफ साइंस कंपनी के पास है। भारत में छह कंपनियों को यह इंजेक्शन बेचने की अनुमति है। पेटेंट लाॅॅ के तहत यह छह कंपनियां अन्य देशों में इंजेक्शन निर्यात तो कर सकती हैं लेकिन देश में नहीं बेच सकती हैं। इन कंपनियों के पास कच्चा माल सहित इंजेक्शन बनाने की सभी आवश्यक चीजें उपलब्ध हैं। यदि केंद्र सरकार पेटेंट लॉ में छूट दे दे तो प्रत्येक कंपनी एक से सवा लाख वायल (इंजेक्शन) प्रतिदिन का निर्माण कर सकती है। यह कंपनियां क्वालिटी फार्मा (अमृतसर), भारत पेरेंटल (बड़ौदा), सीच फार्मा (अहमदाबाद), ब्रुक फार्मा (दमन), गुफिक बायो साइंस (गुजरात) और हेल्थ बायोटेक (हिमाचल) हैं।
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