महंगाई की मार से जनता लाचार- भाकपा माले

      

बेतिया, 4 जून। पेट्रोल -डीजल, रसोई गैस, खाद्य सामग्री सहित अन्य सभी वस्तुएं महंगी हो गई है जिसके कारण

 रसोई का बजट बिगड़ा गया है , किसान, व्यापारी, गृहिणी सबके सब परेशान है, उक्त बयान प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील कुमार यादव ने कहीं, उन्होंने आगे कहा कि कोरोना संकटकाल में आर्थिक तंगी से जूझने के बाद अब आम जनता महंगाई की मार झेल रही है। पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में बेतहाशा वृद्धि से सभी चिंतित हैं। डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस के दाम में हो रही वृद्धि से किसान, व्यापारी, गृहिणी सहित हर वर्ग के लोग परेशान हैं। इसके अलावा घी, सरसों के तेल, दाल व चाय आदि खाद्य पदार्थों के भी दाम काफी बढ़ चुके हैं। लगातार बढ़ रही महंगाई से रसोई का बजट बिगड़ चुका है। घर-घर में लोग परेशान हैं। हर माह 2000 रुपये का आने वाला राशन अब ढाई हजार रुपये में पड़ रहा है। वहीं गैस सिलिंडर की कीमत बढ़ने से लोग सोचने पर मजबूर हो गए हैं। पेट्रोल के दाम बढ़ने से नौकरीपेशा लोगों की जेब ढीली हो रही है। डीजल के दाम में वृद्धि होने के कारण माल भाड़ा भी बढ़ गया है। किसान खेतों की जुताई और फसलों की सिंचाई में खर्च बढ़ने से चिंतित हैं।

उन्होंने कहा कि अच्छे दिन अभी नहीं आए हैं। जबरदस्ती की खुशियां दिखाई जा रही हैं। कोरोना के कारण लोगाें को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है। लोगों के पास रुपये नहीं हैं। बच्चों एवं परिवार के लिए पौष्टिक भोजन जुटाना मुश्किल हो गया है। रसोई गैस की कीमत बढ़ती जा रही है। अब तो गैस सिलिंडर 842 रुपये तक पहुंच गया है।

बेलगाम महंगाई पर रोक लगाने में मोदी सरकार विफल है। इसकी वजह से जनता की परेशानी बढ़ती जा रही है। सबसे अधिक दिक्कत गरीब लोगों को हो रही है। वास्तविक मूल्य से अधिक टैक्स वसूला जा रहा है। इसकी वजह से पेट्रोल एवं डीजल के मूल्य बढ़ते जा रहे हैं। असर पूरे बाजार पर होता है, मार जनता पर पड़ती है। सरकार को पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस को भी जीएसटी में शामिल करना चाहिए। तभी इसके दाम में नियंत्रण किया जा सकेगा।


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