जीएमसीएच बेतिया सहित सभी सरकारी अस्पतालों में बच्चों की समुचित चिकित्सा की व्यवस्था रखें अपडेट ।






बेतिया, 09 सितंबर। पश्चिम चंपारण जिलाधिकारी  कुंदन कुमार ने आज कहा कि जिले में वायरल बुखार, निमोनिया आदि से बच्चे पीड़ित हो रहे हैं। इन पीड़ित बच्चों को समुचित चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराया जाना अतिआवश्यक है। जीएमसीएच सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में बच्चों की समुचित चिकित्सा की व्यवस्था अपडेट रखी जाय। 

उन्होंने कहा कि रोस्टरवाइज डॉक्टरों, नर्सेंज सहित अन्य कर्मियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति हर हाल में होनी चाहिए। साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों में दवाई, जांच की सुविधा, ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाय ताकि पीड़ित बच्चों का समुचित इलाज हो सके। उन्होंने निदेश दिया कि फ्लेक्स के माध्यम से दवाइ की उपलब्धता प्रदर्शित किया जाय।

उन्होंने कहा कि जिलास्तरीय पदाधिकारियों द्वारा जीएमसीएच सहित अन्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की औचक जांच भी करायी जायेगी। लापरवाही, कोताही एवं शिथिलता बरतने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी। जिलाधिकारी कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित समीक्षात्मक बैठक में अधिकारियों, डॉक्टरों को निदेशित कर रहे थे।

उन्होंने निदेश दिया कि वायरल बुखार, निमोनिया आदि बीमारी से ग्रसित बच्चों से संबंधित रिर्पोट प्रतिदिन उपलब्ध करायी जाय। निमोनिया, वायरल बुखार से ग्रसित बच्चों के इलाज हेतु एक अलग वार्ड संचालित किया जाय। उन्होंने कहा कि सिनियर डॉक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड तैयार की जाय, जो बच्चों को हो रहे संक्रमण का अध्ययन कर सके। साथ ही प्रत्येक बेड के लिए एक चेकलिस्ट तैयार कर लें। उन्होंने कहा कि जीएमसीएच में पीकू वार्ड को अविलंब चालू कराना सुनिश्चित किया जाय।

अधीक्षक, जीएमसीएच द्वारा बताया गया कि जीएमसीएच के शिशु वार्ड में भर्ती बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की उपलब्धता है। वर्तमान में 30 बेड बच्चों की चिकित्सा के लिए सुरक्षित रखा गया है। 30 अन्य बेडों को कल से फंक्शनल कर दिया जायेगा। साथ ही आवश्यकतानुसार अन्य अतिरिक्त बेडों की उपलब्धता हेतु तैयारी कर ली गयी है। 

उन्होंने बताया कि 30 बेडों वाला पीकू वार्ड पूरी तरह तैयार है, 11 सितंबर से पूरी तरह फंक्शनल हो जायेगा। एंबुलेंस, दवाई सहित अन्य संसाधन उपलब्ध हैं, पीड़ित बच्चों का समुचित इलाज किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जीएमसीएच में नेबुलाईजर की समुचित व्यवस्था है। 69 कंस्ट्रेटर हैं, जिसके माध्यम से निबुलाइजेशन किया जा सकता है। साथ ही प्रत्येक बेड पर उपलब्ध ऑक्सीजन के माध्यम से आसानी से निबुलाईजेशन किया जा रहा है। साथ ही पीएसए ऑक्सीजन प्लांट को भी अविलंब फंक्शनल कर लिया जायेगा।

जिलाधिकारी द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों पर विशेष नजर रखने की आवश्यकता है। बुखार, सर्दी, खांसी आदि से पीड़ित बच्चों को तुरंत चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय। डीपीएम, जीविका को जीविका दीदियों के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों में बच्चों पर निगाह बनाये रखने का निदेश दिया गया। डीपीओ, आइसीडीएस को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर समुचित साफ-सफाई की व्यवस्था सहित बच्चों को विभागीय दिशा-निर्देश के अनुरूप पौष्टिक आहार आदि उपलब्ध कराने को कहा गया।

जिलाधिकारी ने कहा कि डॉक्टरों एवं कर्मियों की प्रतिनियुक्ति करते हुए तुरंत जीएमसीएच में 24×7 कंट्रोल रूम का संचालन सुनिश्चित किया जाय। साथ ही मरीजों के परिजनों की सुविधा के लिए एक अलग काउंटर की व्यवस्था की जाय, जो परिजनों को समुचित मार्गदर्शन प्रदान करेगा। 

उन्होंने कहा कि जीएमसीएच सहित सभी सरकारी संस्थानों में उपलब्ध एंबुलेंस तथा ग्राम परिवहन योजना के तहत संचालित एंबुलेंस को सभी आवश्यक संसाधनों के साथ हमेशा अलर्ट मोड में रखा जाय तथा कंट्रोल रूम से सभी एंबुलेंस को टैग किया जाय।

जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी ”चमकी को धमकी” के तीन मुख्य बातें यथा-(1) खिलाओ- बच्चों को रात में सोने से पहले  भरपेट खाना जरूर खिलाएं (2) जगाओ-रात के बीच में एवं सुबह उठते ही देखें कि कहीं बच्चा बेहोश या उसे चमकी तो नहीं एवं (3) अस्पताल ले जाओ-बेहोशी या चमकी दिखते ही आशा को सूचित कर तुरंत 102 एम्बुलेंस या उपलब्ध वाहन से नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं का व्यापक प्रचार-प्रसार कराना सुनिश्चित करें। 

शिशु रोग विशेषज्ञ, डॉ0 सौरभ कुमार ने बताया कि अभिभावकों को पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है। अगस्त, सितंबर माह में बच्चों को वायरल बुखार, सर्दी, खांसी होते हैं। अभिभावकों को सतर्क एवं सजग रहने की आवश्यकता है। जब बच्चे सो रहे हो तो उनके कपड़े हटाकर अवश्य देखे कि बच्चा पंजरा तो नहीं मार रहा है, सांस तेज तो नहीं है। अगर ये सब हो रहा है तो बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जायें। संक्रमित बच्चे को अन्य बच्चों से अलग रखें तथा मां का दूध अनिवार्य रूप से पिलाएं, पौष्टिक आहार दें। 

उन्होंने बताया कि अभिभावक अपने-अपने बच्चों को रात में बिना खाना खिलाएं नहीं साने दें। अगर कोई बच्चा शाम के समय में खाना खाया है और सो गया है तो उसे भी रात में जगाकर अवश्य खाना खिलाएं। इसके साथ ही बच्चों को रात में सोते समय अनिवार्य रूप से मीठा सामग्री यथा-गुड़, शक्कर, चीनी आदि खिलाएं। उन्होंने कहा कि चमकी बुखार अधिकांशतः रात के 02 बजे से 04 बजे के बीच अक्रामक रूप लेता है, इस समय सभी अभिभावकों को सचेत रहने की आवश्यकता है। 



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