यूक्रेन रूस ,पश्चिम एशिया समेत पूरे विश्व में युद्ध एवं हिंसा समाप्ति के लिए विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन।
बेतिया, 28 फरवरी। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में शबे मेराज के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिस में विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने संयुक्त रुप से यूक्रेन रूस युद्ध , पश्चिम एशिया संघर्ष , विभिन्न घटनाओं एवं आपदाओं में दुनिया भर में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि शबे मेराज की पवित्र अवसर पर इस मंच के माध्यम से हम सभी ईश्वर से यूक्रेन रूस युद्ध की समाप्ति,पश्चिम एशिया समेत पूरे विश्व में शांति समृद्धि एवं विकास की कामना करते हैं।भारत में
शब ए मिराज 28-फरवरी-2022 की शाम से शुरू होकर 1 मार्च को खत्म होगा. शब ए मिराज को इस्लामिक आस्था एव दुनिया भर के मुसलमानों में द नाइट जर्नी के नाम से जाना जाता है. शब ए मिराज हर साल रजब के महीने और रजब महीने की 27 वीं तारीख में मनाया जाता है. शब ए मेराज को अरबी दुनिया में लैलत अल मिराज भी कहा जाता है. शब ए मिराज की तारीख 27 फरवरी 2022 की शाम से भारत, अरब, पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में 28-फरवरी-2022 की शाम को शुरू होकर और 1 मार्च 2022 के दिन तक मनाया जाएगा। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, डॉ शाहनाज अली, अमित कुमार लोहिया,अल बयान के संपादक डॉ सलाम एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने कहा कि
शब ए मेराज को लैलत अल मिराज और इसरा वल मिराज भी कहा जाता है, यह एक ऐतिहासिक रात की है ,जिसे इस्लामी इतिहास में बहुत महत्व है। इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण शारीरिक एव आध्यात्मिक यात्रा माना जाता है. लैलातुल मिराज/शब ए मेराज मूल रूप से पैगंबर मुहम्मद का सात स्वर्गों में एक उल्लेखनीय यात्रा थी. इस यात्रा को उन्होंने एक जानवर बुराक की पीठ पर की थी. शब ए मिराज के महान उदगम को दो भागों में विभाजित किया गया है जिन्हें इसरा और मिराज कहा जाता है. शब-ए-मेराज की रात इस्लाम धर्म के लोग नफिल नमाज अदा करते हैं और कुरआन पाक की तिलावत भी करते हैं,
इस दिन लोग अल्लाह से दुआ मांगते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं और अच्छे काम करते हैं. गौरतलब है कि मोहम्मद साहब की इस यात्रा के दो भाग हैं, जिसे इसरा और मेराज कहा जाता है. इस्लामिक मान्यताओं को अनुसार, इसी दिन मोहम्मद साहब को इसरा और मेराज की यात्रा के दौरान अल्लाह के विभिन्न निशानियों का अनुभव मिला था. इसी दिन उनकी अल्लाह से मुलाकात हुई थी. इस यात्रा के पहले हिस्से को इसरा और दूसरे हिस्से को मेराज कहा जाता है. प्रवक्ताओं ने दुनिया भर के लोगों से विश्व शांति एवं मानवता के लिए प्रार्थना की अपील की है।
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