कश्मीर फाइल्स’ 1989 में घटी घटनाओं का एक नाटकीय संस्करण ।

 



मुंबई। वास्तविक घटनाओं पर आधारित और कश्मीरी पंडितों के तकलीफों को बयां करती, निर्देशक  विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स’ 1989 में घटी घटनाओं का एक नाटकीय संस्करण है। परंतु प्रस्तुतिकरण उत्कृष्ट होने की वजह से पूरी फिल्म दिल मे उतर जाती है और सिनेदर्शकों को बांधे रखती है। साल 2019 में विवेक अग्निहोत्री  की फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ रिलीज हुई थी और यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई। इस फिल्म को दो नेशनल अवॉर्ड भी मिले थे। ‘द ताशकंद फाइल्स’ के बाद अब विवेक अग्निहोत्री ‘द कश्मीर फाइल्स’ लेकर आए हैं, जिसमें उन्होंने 90 के दशक में कश्मीर में हुए कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के नरसंहार और पलायन की कहानी को दर्शाया है। इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती जैसे धुरंधर कलाकार तो हैं ही, लेकिन साथ ही फिल्म में पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार जैसे मंझे हुए कलाकार ने भी अपनी अभिनय प्रतिभा का जलवा स्क्रीन पर बिखेरा है। फिल्म की कहानी कश्मीर के एक टीचर पुष्कर नाथ पंडित (अनुपम खेर) की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है। कृष्णा (दर्शन कुमार) दिल्ली से कश्मीर आता है, अपने दादा पुष्कर नाथ पंडित की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए. कृष्णा अपने दादा के जिगरी दोस्त ब्रह्मा दत्त (मिथुन चक्रवर्ती) के यहां ठहरता है। उस दौरान पुष्कर के अन्य दोस्त भी कृष्णा से मिलने आते हैं इसके बाद फिल्म फ्लैशबैक में चली जाती है। फ्लैशबैक में दिखाया गया है कि 1990 से पहले कश्मीर कैसा था। इसके बाद 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को मिलने वाली धमकियों और जबरन कश्मीर और अपना घर छोड़कर जाने वाली उनकी पीड़ादायक कहानी को दर्शाया गया है। अभिनय के मामले में फिल्म के सभी कलाकारों ने अपने अभिनय कौशल से फिल्म की कहानी से जुड़े सभी पात्रों को जीवंत किया है। इसे फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की निर्देशकीय प्रतिभा का प्रतिफल कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विवेक अग्निहोत्री ने 'द कश्मीर फाइल्स' के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को उजागर करते हुए एक रोंगटे खड़े करने वाली अलग तरह की हृदयस्पर्शी कहानी को दर्शाने की कोशिश की है।

        (फिल्म समीक्षक : काली दास पाण्डेय) 


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