नवरोज (नाउरुज़ )के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर दिया विश्व शांति एवं मानवता का संदेश।

 


पटना, 21 मार्च।  सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में  नवरोज के अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रूप से कहा कि प्रत्येक वर्ष  21 मार्च को नवरोज (नाउरुज़ )के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। नॉरूज़ के त्योहार को मनाने के लिए दुनिया भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इसे विश्व के अनेक हिस्सों में त्योहार को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे कि नवरुज, नोवरुज, नूरुज, नेवरूज और नौरिज। नाउरुज़ शब्द का अर्थ है “नया दिन“।

नाउरुज़ का पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस 21 मार्च 2010 को मनाया गया था।

2010 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने सूची में नवरोज को शामिल करने का स्वागत किया और 21 मार्च को नव रोज के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता दी।

इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद, सुरेश कुमार अग्रवाल , डॉ शाहनवाज अली ने संयुक्त रूप से कहा कि नॉरूज़ मूल रूप से 6 देशों द्वारा 2009 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में अंकित किया गया था और बाद में 2016 में इसे अन्य 6 तक बढ़ा दिया गया था।

.नाउरुज़ का त्यौहार ईरान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, भारत, पाकिस्तान, तुर्की और मध्य एशिया और पश्चिम एशिया के अन्य देशों से दुनिया भर में 300 मिलियन से अधिक लोगों द्वारा मनाया गया ।त्यौहार वसंत के पहले दिन को चिह्नित करता है और इसे एस्ट्रोनॉमिकल वेरनाल इक्वीनोक्स के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर 21 मार्च को होता है। नाउरुज़ का त्यौहार पारसी समुदाय का महत्वपूर्ण त्यौहार है जो उस दिन का प्रतीक है जिस दिन राजा जमशेद को फारस के राजा के रूप में ताज पहनाया गया था।

नाउरुज़ बाल्कन, ब्लैक सी बेसिन, काकेशस, मध्य एशिया, मध्य पूर्व और अन्य क्षेत्रों में 3000 से अधिक वर्षों से मनाया जाता है।

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