मानवाधिकारों के उल्लंघन की रोकथाम एवं पीड़ितों की गरिमा के लिए सत्य के अधिकार के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन

 


पटना, 24 मार्च। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में मानव अधिकारों के उल्लंघन की रोकथाम एवं  पीड़ितों की  गरिमा के लिए सत्य के अधिकार के  अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों  एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रूप से कहा कि वर्तमान समय में विश्व के अनेक देशों में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं अत्याधिक देखी जा रही हैं। मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन और मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघनों के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए आज का दिन चिन्हित किया गया है।  जबरन गायब होने, लापता व्यक्तियों, अपहरण किए गए बच्चों, यातना के पीड़ितों के रिश्तेदारों को यह जानने की आवश्यकता है कि उनके साथ क्या हुआ। सत्य के अधिकार का तात्पर्य उन घटनाओं के बारे में पूर्ण और पूर्ण सत्य जानने से है जो घटित हुई, उनकी विशिष्ट परिस्थितियाँ, और उनमें किसने भाग लिया, जिसमें उन परिस्थितियों को जानना शामिल है जिनमें उल्लंघन हुआ था, साथ ही उनके कारण भी।

प्रत्येक वर्ष, 24 मार्च को, सकल मानव अधिकारों के उल्लंघन के संबंध में सत्य के अधिकार और पीड़ितों की गरिमा के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है।

यह वार्षिक आयोजन मोनसिग्नोर ऑस्कर अर्नुल्फो रोमेरो की स्मृति को श्रद्धांजलि देता है, जिनकी 24 मार्च 1980 को हत्या कर दी गई थी। मॉन्सिग्नर रोमेरो अल सल्वाडोर में सबसे कमजोर व्यक्तियों के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करने में सक्रिय रूप से लगे हुए थे।

घोर और व्यवस्थित मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों की स्मृति का सम्मान करना और सत्य और न्याय के अधिकार के महत्व को बढ़ावा देना है।उन लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करें जिन्होंने सभी के लिए मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के संघर्ष में अपना जीवन समर्पित कर दिया और अपनी जान गंवा दी;विशेष रूप से, अल सल्वाडोर के आर्कबिशप ऑस्कर अर्नुल्फो रोमेरो के महत्वपूर्ण कार्य और मूल्यों को पहचानें, जिनकी 24 मार्च 1980 को सबसे कमजोर आबादी के मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा करने और जीवन की रक्षा के सिद्धांतों की रक्षा करने, मानव को बढ़ावा देने के बाद हत्या कर दी गई थी। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल डॉक्टर शाहनवाज अली अमित कुमार लोहिया एवं वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल ने संयुक्त रूप से कहा कि सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों  सभी प्रकार की हिंसा का  विरोध  करते हैं। साथ ही यूक्रेन में युद्ध में मानव अधिकारों की उल्लंघन मानवता के विरुद्ध युद्ध के दोषियों को न्याय के कटघरे में ला खड़ा करने की जिम्मेवारी पूरे विश्व बिरादरी की है जिस का मानना है कि आधुनिक  सभ्य समाज  में हिंसा एवं युद्ध के लिए कोई जगह नहीं है।

21 दिसंबर 2010 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 मार्च को सकल मानव अधिकारों के उल्लंघन और पीड़ितों की गरिमा के लिए सत्य के अधिकार के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया।

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