भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी समाजवादी डॉ. राममनोहर लोहिया की जन्म दिवस पर डॉ राम मनोहर लोहिया की मातृभूमि बेतिया पश्चिम चंपारण से सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का किया गया आयोजन।



पटना/बेतिया, 23 मार्च ।   भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी समाजवादी स्वर्गीय डॉ राम मनोहर लोहिया की 112 वी जन्मदिवस पर डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की मातृभूमि बेतिया पश्चिम चंपारण से सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार  सत्याग्रह भवन में एक सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया ,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता , डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड एवं अमित कुमार लोहिया ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 23 मार्च 1910 को  महान स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय डॉ राम मनोहर लोहिया का जन्म में हुआ था। राममनोहर लोहिया ने देश की राजनीति में भावी बदलाव की बयार आजादी से पहले ही ला दी थी। अपनी प्रखर देशभक्ति और समाजवादी विचारों के कारण वह अपने समर्थकों के साथ ही अपने विरोधियों के मध्यि भी अपार सम्मान हासिल किया। बेतिया पश्चिम चंपारण के चनपटिया से डॉ0 राम मनोहर लोहिया का गहरा लगाव रहा , डॉ राम मनोहर लोहिया का बचपन महात्मा गांधी की कर्मभूमि बेतिया पश्चिम चंपारण के चनपटिया में ही बीती, महान स्वतंत्रता सेनानी सह सामाजिक आंदोलन के जनक डॉ राम मनोहर लोहिया की मां बेतिया पश्चिम चंपारण के चनपटिया के एक मारवाड़ी परिवार से थी ,महान स्वतंत्रता सेनानी डॉ राम मनोहर लोहिया के पिता एवं उनके माता का परिवार ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह 1917 मे अहम भूमिका निभाई! राममनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को फैजाबाद में हुआ था। उनके पिताजी हीरालाल पेशे से अध्यापक व हृदय से सच्चे राष्ट्रभक्त थे। उनके पिताजी गांधीजी के अनुयायी थे। जब वे गांधीजी से मिलने आते तो राम मनोहर को भी अपने साथ ले जाया करते थे। गांधीजी के विराट व्यक्तित्व का उन पर गहरा असर हुआ। पिताजी के साथ 1918 में अहमदाबाद कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार शामिल हुए। बनारस से इंटरमीडिएट और कोलकता से स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने उच्चए शिक्षा के लिए लंदन के स्था न पर बर्लिन का चुनाव किया था। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, अमित कुमार लोहिया ,डॉ शाहनवाज अली एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने कहा कि वहीं जाकर उन्होंने मात्र तीन माह में जर्मन भाषा पर अपनी मजबूत पकड़ बनाकर अपने प्रोफेसर जोम्बांर्ट को चकित कर दिया। उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टररेट की उपाधि केवल दो वर्षों में ही प्राप्ता कर ली। जर्मनी में चार साल व्यहतीत करके, डॉ. लोहिया स्वकदेश वापस लौटे और किसी सुविधापूर्ण जीवन के स्थाजन पर जंग-ए-आजादी के लिए अपनी जिंदगी समर्पित कर दी। डॉ. लोहिया मानव की स्थापना के पक्षधर समाजवादी थे। वह समाजवादी भी इस अर्थ में थे कि, समाज ही उनका कार्यक्षेत्र था और वह अपने कार्यक्षेत्र को जनमंगल की अनुभूतियों से महकाना चाहते थे। वह चाहते थे कि व्यक्ति-व्यक्ति के बीच कोई भेद, कोई दुराव और कोई दीवार न रहे। सब जन समान हो, सब जन का मंगल हो। उन्होंने सदा ही विश्व-नागरिकता का सपना देखा था। वह मानव-मात्र को किसी देश का नहीं बल्कि विश्व का नागरिक मानते थे। जनता को वह जनतंत्र का निर्णायक मानते थे। डॉ. लोहिया अक्सर यह कहा करते थे कि उन पर केवल ढाई आदमियों का प्रभाव रहा, एक मार्क्स का, दूसरे गांधी का और आधा जवाहरलाल नेहरू का। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि चंपारण की मिट्टी ने डॉ राम मनोहर लोहिया को प्रभावित करने में अहम भूमिका रही, उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मूल्यों एवं आदर्शों के अनुसार विश्व में स्थाई शांति एवं समानता लाने का वास्तविक प्रयास किया था, स्वतंत्र भारत की राजनीति और चिंतन धारा पर जिन गिने-चुने लोगों के व्यक्तित्व का गहरा असर हुआ है, उनमें डॉ. राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण प्रमुख रहे हैं। भारत के स्वतंत्रता युद्ध के आखिरी दौर में दोनों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है। 1933 में मद्रास पहुंचने पर लोहिया गांधीजी के साथ मिलकर देश को आजाद कराने की लड़ाई में शामिल हो गए। इसमें उन्होंने विधिवत रूप से समाजवादी आंदोलन की भावी रूपरेखा पेश की। सन् 1935 में उस समय कांग्रेस के अध्यूक्ष रहे पंडित नेहरू ने लोहिया को कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया। बाद में अगस्तं 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोडो़ आंदोलन का ऐलान किया। जिसमें उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया‌।

 

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