रमजान के पवित्र महीने के अंतिम जुम्मा अलविदा पर दिया विश्व शांति मानवता अहिंसा एवं आपसी प्रेम का संदेश।

                             


    

 बेतिया, 29 अप्रैल  (हि.स) सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में पवित्र रमजान के आखिरी जुम्मा अलविदा के अवसर पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया ।इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली ,वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, अमित कुमार लोहिया, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन एवं अल बयान के संपादक डॉ ने संयुक्त रूप से कहा कि रमजान के महीने में अंतिम जुमा अलविदा का  खास महत्व है।  रमज़ान के महीने में पड़ने वाले आखिरी शुक्रवार (जुमा) को 'अलविदा जुमा' कहा जाता है।  इस दिन को दुनिया भर के मुसलमान पूरी अजमत अकीदत से एवं ईश्वर  की  उपासना  करते हैं। यह जुमा अन्‍य जुमा के मुकाबले इसलिए खास है क्‍योंकि यह रमजान के महीने का आखिरी जुमा यानी शुक्रवार है। इस साल  रमजान में कोई और जुमा नहीं पड़ेगा। वहीं अलविदा का मतलब रमजान के पाक महीने का समाप्‍त होना यानी इसकी विदाई है। यही वजह है कि इसे अलविदा कहते हैं एवं इसकी नमाज भी काफी अहम मानी जाती है। इस्लाम में अलविदा को सबसे अफजल करार दिया गया है।  जुमातुल विदा यानी अलविदा की अहमियत के बारे में बताया गया है कि ख़ुद अल्लाह तआला ने पवित्र क़ुरआन मजीद में इस दिन की अहमियत को मुसलमानों के लिए खास फरमाया। रमज़ान का आखिरी जुमा कई मायनों में ख़ास है। एक तो इसके आने का मतलब यह है कि अब बस ईद आने ही वाली है। यानी ईद के चांद से पहले का यह आखिरी जुमा है। वहीं इबादत के लिहाज़ से भी यह दिन मुसलमानों के लिए बेहद ख़ास है। इस दिन मुसलमान अल्‍लाह की इबादत करते हैं और इस बात का शुक्र अदा करते हैं कि उन्‍हें माहे रमज़ान के पाक महीने में रोज़े रखने का मौका मिला। तरावीह पढ़ने एवं अल्‍लाह की इबादत करने का सम्‍मान हासिल हुआ। अलविदा जुमा की नमाज हर मुसलमान के लिए बेहद खास और जरुरी होती है। इस दिन मुस्लिम लोग नए एवं साफ-सुथरे कपड़े पहन कर अपने रब की इबादत करते हैं। अलविदा जुमा को छोटी ईद भी कहा जाता है। माना जाता है कि अलविदा जुमा की नमाज के बाद अगर सच्चे दिल से मन्नत मांगी जाए तो अल्‍लाह बंदे की हर जायज दुआ कुबूल फ़रमाते हैं । इस अवसर पर वक्ताओं ने अलविदा के महत्वपूर्ण अवसर पर ईश्वर से पूरे विश्व में विश्व शांति सुख शांति समृद्धि एवं  सब के विकास के लिए प्रार्थना  की। साथ ही दुनिया के अनेक हिस्सों में युद्ध एवं हिंसा समाप्त करने के लिए विशेष प्रार्थना की गई । कोरोना संक्रमण एवं विभिन्न आपदाओं से विश्व को सुरक्षित रखने के लिए ईश्वर से प्रार्थना  भी की गई।

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