ब्रिटिश इंडिया कंपनी के चनपटिया तथा चकिया चीनी मिलों को चालू करने की मांग।

 


      बेतिया, 24 मई।  बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव तथा संयुक्त सचिव बंकिम चंद दत्त ने कहा है कि ब्रिटिश इंडिया कंपनी द्वारा बिहार में 1932 में बनी पुरानी चीनी मिल चनपटिया तथा चकिया केंद्र तथा बिहार सरकार की किसान उपेक्षित नीतियों के चलते दशकों से बंद पड़ा हुआ है । पिछले 30 साल से दोनों चीनी मिलें बंद हैं । इतना ही नहीं बल्कि धीरे-धीरे उसके सारे महत्वपूर्ण मशीनों को चुरा भी लिया गया है ।

         1994 में चनपटिया चीनी मिल के सामने बिहार राज्य किसान सभा द्वारा किए गए प्रदर्शन और धारणा के बाद चनपटिया के तत्कालीन विधायक कामरेड बीरबल शर्मा के प्रयास से चीनी मिल को चलाने के लिए तत्कालीन कृषि मंत्री का. चतुरानन मिश्र द्वारा 10 लाख रुपए अनुदान दिया  गया था । फलस्वरूप एक साल चीनी मिल को भी चलाया गया । लेकिन पिछले कई वर्षों से चनपटिया चीनी मिल द्वारा किसानों के बकाए का भुगतान नहीं होने से किसान सशंकित थे और सरकार की इच्छा शक्ति में आई कमी के चलते चीनी मिल फिर बंद हो गई । किसानों के करोड़ों रुपए आज भी चनपटिया चीनी मिल पर बकाया है । लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के लापरवाही के चलते न तो किसानों के बकाए पैसे दिए जा रहे हैं और ना ही चीनी मिलों को चालू किया जा रहा है ।

               सबको पता है कि संयुक्त चंपारण में 9 चीनी मिलें थी।  जिसमें से पश्चिम चंपारण जिले में 6 चीनी मिलें तथा पूर्वी चंपारण जिले में तीन चीनी मिलें बट गए । पश्चिम चंपारण की चीनी मिलों में से 5 चीनी मिलें चल रही हैं । लेकिन ब्रिटिश इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित चनपटिया चीनी मिल आज भी बंद पड़ा है । ठीक उसी तरीके से पूर्वी चंपारण जिले के 3 चीनी मिलों में से एच पी सी एल के सौजन्य से सुगौली चीनी मिल चल रही है । लेकिन बी आई सी का चकिया चीनी मिल 30 साल से बंद है । इस चीनी मिल को चालू करने के नाम पर स्थानीय सांसद राधामोहन सिंह कई बार चुनाव जीत चुके हैं । 2020 के नवंबर में राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी चीनी मिल चालू करने का जनता को भरोसा दिलाया । लेकिन चकिया चीनी मिल चालू नहीं हुई । 

           बिड़ला का मोतिहारी चीनी मिल आज भी बंद पड़ा हुआ है । पिछले दिनों मोतिहारी चीनी मिल मजदूरों के बकाए वेतन भुगतान के लिए चीनी मिल गेट मोतिहारी पर मजदूरों ने आमरण अनशन किया था  और दो मजदूरों ने आत्मदाह कर ली थी । उसके बाद भी मजदूरों के वेतन  बकाए पड़े हुए हैं और अभी भी चीनी मिल को चालू नहीं किया गया । 

         बिहार सरकार की असफलता का मुख्य कारण है , बिहार में चल रहे चीनी उद्योग को बंद करना।  बिहार में 28 चीनी मिले हैं । जो अंग्रेजी हुकूमत के समय में 33 थी । आज उसमें से अट्ठारह चीनी मिलें बंद है । अगर उन मिलों को केंद्र सरकार के सहयोग से बिहार सरकार चालू करती है । तो बड़े पैमाने पर बिहार में गन्ने की खेती भी होती और चीनी मिलों में चीनी बनने के बाद उसके बायो प्रोडक्ट के रूप में इथनौल, बिजली , खाद , स्प्रिट आदि का  उत्पादन भी होता । जिससे बिहार का विकास , किसानों को लाभ और बेरोजगारों को रोजगार बड़े पैमाने पर मिलता।

           लेकिन बंद चीनी मिलों को चालू करना उनकी प्राथमिकता में नहीं है । बल्कि बंद चीनी मिलों के जमीनों पर इथनौल का प्लांट लगाने में लगी हुई है । जिससे बिहार में भुखमरी और बढ़ जाएगी । जो आत्म हत्या के समान है ।

           बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ चनपटिया और चकिया चीनी मिल को चालू करने के लिए तथा किसान एवं मजदूरों के बकाए पैसे का  ब्याज सहित भुगतान देने के लिए आंदोलन करेगा । दोनों चीनी मिलों , प्रखंड पर एवं जिला पदाधिकारी के यहां धरना दिया जाएगा । अगर किसानों की बातें नहीं  मानी गई , तो दोनों जिलों के सड़कों को चनपटिया तथा चकिया में अनिश्चितकालीन जाम किया जाएगा । जब तक की चीनी मिलों को चालू नहीं किया जाता ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ