अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस पर नई पीढ़ी के पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों से अपील।

               



 पटना,03 मई। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों एवं बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड , डॉ शाहनवाज अली अमित कुमार लोहिया एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रुप से कहा कि आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है ।दुनिया भर की सरकारों को 1948 के मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा का अनुच्छेद 19 अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करने एवं उसे बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है। यूनेस्को महासम्मेलन की अनुशंसा के बाद दिसंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी। तभी से हर साल 3 मई को ये दिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में

अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस थीम" डिजिटल साइबर अपराध एवं सोशल मीडिया पत्रकारों ए मीडिया अधिकारियों पर हमलों पर केंद्रित है। दुनिया के विभिन्न देशों में सरकारी दबाव के कारण हाल के वर्षों में पत्रकारिता को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।  यूनेस्को एवं उरुग्वे गणराज्य के सानिध्य में पंटा डेल एस्टे, उरुग्वे में एक हाइब्रिड प्रारूप में वार्षिक विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस वैश्विक सम्मेलन की मेजबानी की जा रही है। सम्मेलन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, पत्रकार सुरक्षा, सूचना तक पहुंच एवं गोपनीयता पर डिजिटल युग के प्रभाव को संबोधित विषय पर परिचर्चा किया जा रहा है।  इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए ठोस सिफारिशें को विकसित किया जा रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, पत्रकार सुरक्षा, सूचना तक पहुंच और गोपनीयता पर डिजिटल युग के प्रभाव पर चर्चा की जा रही है।  यह इन मुद्दों की जांच करने के लिए पत्रकारों, नीति निर्माताओं, कार्यकर्ताओं, मीडिया प्रतिनिधियों, साइबर सुरक्षा प्रबंधकों और कानूनी विशेषज्ञों जैसे प्रासंगिक हितधारकों को एक साथ लाने में मील का पत्थर साबित होगा। भारतीय संविधान के

 अनुच्छेद 19 के तहत वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो वाक् स्वतंत्रता इत्यादि के संबंध में कुछ अधिकारों के संरक्षण से संबंधित है। प्रेस की स्वतंत्रता को भारतीय कानून प्रणाली द्वारा स्पष्ट रूप से संरक्षित नहीं किया गया है, लेकिन यह संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत संरक्षित है, जिसमें कहा गया है – “सभी नागरिकों को वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा”।

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 1950 में रोमेश थापर बनाम मद्रास राज्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि सभी लोकतांत्रिक संगठनों की नींव प्रेस की स्वतंत्रता पर आधारित होती है। हालांकि प्रेस की स्वतंत्रता भी असीमित नहीं होती है। कानून इस अधिकार के प्रयोग पर केवल उन प्रतिबंधों को लागू कर सकता है, जो अनुच्छेद 19 (2) के तहत आते है।

यूनेस्को द्वारा 1997 से हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज़ दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्था को दिया जाता है, जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय, व प्रशंसनीय कार्य किया हो।

साथ ही स्कूल, कॉलेज, सरकारी संस्थानों और अन्य शैक्षिक संस्थानों में प्रेस की आजादी पर वाद-विवाद, निबंध लेखन प्रतियोगिता और क्विज़ का आयोजन होता है। लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार से अवगत कराया जाता है।

प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया कितनी अहम भूमिका निभाता है। इस कारण सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए और इसके लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।

इस दिवस का उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना और साथ ही ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है ।

दुनियाभर में पत्रकारों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सऊदी पत्रकार ख़ाशग़्जी, भारतीय पत्रकार गौरी लंकेश भारतीय पत्रकार की अफगानिस्तान में हत्याऔर उत्तरी आयरलैंड की पत्रकार लायरा मक्की की हत्याओं ने एक बार फिर प्रेस की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। इस अवसर पर वक्ताओं ने नई पीढ़ी के पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों से आह्वान करते हुए कहा कि प्रेस की स्वाधीनता के लिए आगे आए नई पीढ़ी के पत्रकार एवं मीडिया कर्मी ताकि आम आदमी की आवाज को सत्ता तक आसानी से पहुंचा जा सके।

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