बेतिया, 02 मई। आज सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में पवित्र ईद उल फितर के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, अमित कुमार लोहिया ,अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से ईद के अवसर पर विश्व शांति मानवता एवं भाईचारे का संदेश देते हुए कहा कि ईद का पर्व मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए काफी बड़ा त्योहार होता है। रमज़ान के पाक महीने में रोजा रखने के बाद ईद-उल-फितर भाईचारे एवं अमन का पैगाम पूरी मानवता के लिए लेकर आती है।
अरबी पंचांग के अनुसार, रमज़ान नौवां महीना होता है जिसमें रोजा रखे जाते हैं। वहीं दसवें महीने में शव्वाल होता है। शव्वाल का अर्थ है उपवास तोड़ने का पर्व। इसी कारण प्रत्येक वर्ष शव्वाल माह के शुरू होने के साथ ही ईद का पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय नमाज अदा करते हैं इसके बाद भोज पर एक दूसरे को आमंत्रित करते हैं । एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। इसके साथ ही आज मीठी सेवइयां के साथ विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं। मान्यता है कि आज के दिन जकात यानी दान देना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान देने से कई गुना अधिक सवाब मिलता है।मान्यता है कि ईद की शुरुआत तब हुई जब पैगंबर मोहम्मद मक्का से मदीना आए थे। मोहम्मद साहब ने कुरान में दो पवित्र दिनों में ईद-उल-फितर निर्धारित किया। इसी कारण साल में दो बार ईद का पर्व मनाया जाता है। जिसमें पहली ईद-उल-फितर (मीठी ईद) के नाम से जाना जाता है और दूसरी को ईद-उल-अज़हा (बकरीद) के नाम से जाना जाता है। इस बार बकरीद का पर्व 9 जुलाई को पड़ सकता है।
माना जाता है कि इस दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में विजय प्राप्त की थी। इसी जीत की शुखी में हर साल ईद के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता 624 ई में पहली बार ईद उल फितर मनाया। अवसर पर वक्ताओं ने विश्व शांति एवं मानवता का संदेश देते हुए कहा कि आज के समय में हजरत मोहम्मद स० व० वसल्लम के विचार विश्व समुदाय के लिए प्रासंगिक हैं ।जिन्होंने सत्य हिंसा एवं आपसी प्रेम का संदेश आज से बरसों पहले दिया था।
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