मझौलिया,07 जून। टीबी बीमारी को समाज से पूरी तरह खत्म करने के लिए सामुदायिक जागरूकता बहुत जरूरी है इसलिए टीबी बीमारी के बारे में सामुदायिक जागरूकता हो इसकी पहल करनी चाहिए।यह बातें जीविक के क्षेत्रीय समन्यवक विवेक चौबे ने खहि।वे प्रखंड के महनागनी स्तिथ विजेता जीविका संकुल संघ में जीविका दीदियों के लिए केएचपीटी द्वारा आयोजित पर्सपेक्टिव बिल्डिंग वर्कशॉप को संबोधित कर रहे थे।वर्कशॉप में केएचपीटी के सामुदायिक समन्यवक डॉ घनश्याम ने बताया कि दो हफ्ते या उससे अधिक समय से खांसी आना टीबी का मुख्य लक्षण हो सकता है। वहीं, शाम को बुखार आना, बलगम के साथ खून आना, वजन कम होना इसके अन्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं।उन्होंने कहा कि टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। लेकिन, फेफड़ों की टीबी ही संक्रामक बीमारी है। फेफड़ों की टीबी के रोगी के बलगम में टीबी के जीवाणु पाए जाते हैं। रोगी के खांसने, छींकने और थूकने से ये जीवाणु हवा में फैल जाते हैं, और अन्य व्यक्ति के सांस लेने से यह जीवाणु उस व्यक्ति के फेफड़ों में पहुँच जाते है और उसे संक्रमित कर देते हैं।इसलिए टीबी के मरीज को साफ सफाई का ध्यान रखते हुए खांसते या छीकते समय रूमाल का प्रयोग करना चाहिए।वही नीरज कुमार ने कहा कि आप लोग भी टीबी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करेंगी तो आसानी से टीबी बीमारी से निजात पाई जा सकती है।वर्कशॉप के दौरान समाज से टीबी बीमारी को मुक्त करने के लिए शपथ भी लिया गया। आपको बता दे कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग और केएचपीटी के द्वारा टीबी उन्मूलन अभियान में सामुदायिक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।मौके पर सीएम सीमा कुमारी,एमआरपी रेखा कुमारी आदि उपस्थित रहे।
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