बेतिया मे विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र द्वारा आयोजित जीव विज्ञान +2 आचार्य कार्यशाला के द्वितीय दिन

 


बेतिया, 28 अगस्त। विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र द्वारा आयोजित जीव विज्ञान +2 आचार्य कार्यशाला के द्वितीय दिन का शुभारंभ लोक शिक्षा समिति के  सचिव  मुकेश नंदन जी, विभाग प्रमुख  अनिल राम जी, अतिथि द्वय प्रो. ओझा और प्प्रोफेसर आर एन यादव जी एवं स्थानीय विद्यालय के प्रधानाचार्य  विनोद कुमार जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं वंदना के साथ हुआ। सचिव ने भैया- बहनों को संबोधित करते हुए कहा कि हमें विज्ञान और तकनीकी में विकास तथा NEP 2020 के अनुरूप शिक्षा में  विज्ञान और तकनीकी के समावेश के साथ-साथ अपने जड़ों से जुड़ा भी रहना है। इसी क्रम में हम आगामी 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी के जयंती के उपलक्ष में खेल दिवस  अपने समस्त विद्यालयों में मनाएंगे। उन्होंने सभी भैया-बहनों को उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दीदी है। 

 द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र प्रोफेसर द्वय द्वारा संयुक्त रूप से लिया गया । सत्र को संबोधित करते हुए प्रोफेसर ओझा ने कहा कि हमें छात्रों को हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए क्योंकि विज्ञान विषय ही गंभीर एवं कठिन है।इसको  छात्रों के लिए रुचिकर और सरल बनाने के लिए बीच-बीच में जॉक भी क्रैक करना पड़ता है।विषय का स्पष्ट कांसेप्ट देना चाहिए। जीव विज्ञान में क्लासिफिकेशन को आरंभ में नहीं पढ़ाना चाहिए, इसे बाद में पढ़ाना चाहिए। जीव विज्ञान के विभिन्न शाखाएं हैं, जैसे बॉटनी, जूलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी,  टैक्सनॉमी इन थे  उन्होंने छात्रों को कुछ विचित्र टर्म्स की जानकारी देने की बात की, जैसे सेल्फिश डीएनए, स्पाइसिंग आरएनए, जंक जींस ,जंपिंग जींस।

 प्रोफेसर यादव ने बायोलॉजी के स्कोप के बारे में विस्तृत रूप से बताया। उन्होंने कहा कि मेडिकल साइंस बायोलॉजी का एकमात्र लक्ष्य नहीं होता है। हम विभिन्न धाराओं जैसे बायोटेक्नोलॉजी, बॉटनी,जूलॉजी, प्लांट टिशु कल्चर, फार्मेसी, ओसेनोलॉजी, वायरिलॉजी, बैक्टीरियोलॉजी आदि में उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। 

 द्वितीय दिन का द्वितीय सत्र प्रोफेसर यादव द्वारा "हाउ टू फॉर्मुलेट ए प्रोजेक्ट" विषय पर लिया गया। उन्होंने बताया कि हम विभिन्न विषय पर प्रोजेक्ट बना सकते हैं, जैसे फॉरेस्ट इकोसिस्टम, पॉन्ड इकोसिस्टम इत्यादि। उन्होंने प्रोजेक्ट बनाने के लिए आवश्यक गुड़ भी  प्रतिभागियों को सिखाया।

 द्वितीय दिवस के तृतीय सत्र काफी  इनफॉर्मेटिक एवं सारगर्भित रहा ।यह सत्र स्थानीय बीएमसीएच के ट्यूटर तथा जाने-माने शिशु रोग चिकित्सक के द्वारा लिया गया। उन्होंने बताया कि शिक्षण कार्य जीवन पर्यंत चलती रहती है, जैसे कहा भी गया है कि "हरि अनंत हरि कथा अनंता"।  शिक्षकों को अपने छात्रों को हमेशा प्रेरणा देनी चाहिए। यदि शिक्षक मोटिवेटेड होते हैं तो छात्रों को मोटिवेट करते हैं। शिक्षकों के ज्ञान का लेबल छात्रों से हमेशा ज्यादा होनी चाहिए अन्यथा प्रतिकूल स्थिति में छात्र बोरिंग फील करते हैं, और वर्ग से दूर भागते हैं ।एक प्रश्न को हल करने के दौरान उससे मिलते जुलते मॉडिफाइड प्रश्नों को भी हल करना चाहिए जिससे छात्रों के ज्ञान का भंडारण अधिक होता है । क्वेश्चन को एनालिसिस भी करना चाहिए। शिक्षकों को विषय का प्रतिपादन अच्छे तरीके से करना चाहिए तत्पश्चात क्वेश्चन बैंक से क्वेश्चन करना चाहिए। उन्हें ख्याल रखना चाहिए कि एक टॉपिक पर कितने क्वेश्चन बनाए जा सकते हैं। उन्हें स्टोरी टेलिंग के तरीके से पढ़ाना चाहिए  आज किसी भी विषय की पढ़ाई, इंटरनेट और स्मार्ट फोन द्वारा की जा सकती है। छात्रों की जानकारी देनी चाहिए कुल 180 प्रश्न होते हैं, फिजिक्स के 45 प्रश्न केमिस्ट्री के 45 प्रश्न बायोलॉजी के 90 प्रश्न और कुल 720 अंक। लास्ट ईयर का  कट ऑफ मार्क्स 520 था । जिसने 180 प्रश्नों में 160 किया उसी का सिलेक्शन हुआ। टाइम मैनेजमेंट का भी हमे ध्यान रखना चाहिए। टाइम मैनेजमेंट द्वारा हम डाउटफुल क्वेश्चन के उत्तर दे सकते हैं। वर्ग में तीन प्रकार के छात्र पाए जाते हैं, पहला जो सेल्फ मोटिवेटेड होते हैं, दूसरे औसत दर्जे के होते हैं, जो शिक्षक द्वारा मोटिवेटेड होने पर सफल होते हैं, तीसरे दर्जे के छात्रों पर किसी भी उपाय का प्रभाव नहीं पड़ता और कुछ भी नहीं कर पाते हैं। किसी भी परिस्थिति में नीट की तैयारी इलेवंथ क्लास से ही शुरु करना चाहिए, +2 पास होने का इंतजार नहीं करना चाहिएनहीं तो 2 साल बर्बाद हो जाता है। छात्रों को मोटिवेट कीजिए तुलना नहीं, नहीं तो वे डिप्रेस्ड हो जाएंगे। नीट के लिए तीन प्रकार से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, पहला एनसीआरटी बुक से ,दूसरा ऑनलाइन मटेरियल से और  तीसरा क्लासरूम नोट से।डॉक्टर सौरव के ट्रिक्स और तथ्यों को जानकर प्रतिभागी अपने को धन्य मान रहे थे और मंत्रमुग्ध होकर उनकी बातों को सुन रहे थे। अंत में विभाग प्रमुख ने उन्हें अपना  बहुमूल्य समय निकालने और कार्यशाला को अधिक प्रभाएशाली बनाने के लिए और कार्यशाला में समय देने के लिए धन्यवाद दिया ।

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