पटना। सी पी आई एम केन्द्रीय कमिटी के सदस्य ए आई के एस के संयुक्त सचिव तथा प्रख्यात शिक्षाविद् का. बादल सरोज बिहार के दवा प्रतिनिधियों के शिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे ।
उन्होंने बताया कि दुनिया के साढ़े पांच हजार वर्ष पूर्व की सभ्यताएं मिलती है । पाषाण युग के चित्रलेखन की लिपि और भाषाओं का इतिहास है। इस बीच तांबा , लोहा आदि का विकास हुआ । आर्य यहां बसने नहीं आए थे । बल्कि घोड़ों पर सवार होकर शिकार खेलने आए थे । उन्होंने सिंधु घाटी पर बने बांधों को तोड़ा और सिंधु घाटी की सभ्यता को बढ़ाया ।
आदिम साम्य काल की समानता का वर्णन करते हुए कहा कि बाद के दिनों में उन्हें वर्ण और जाति में बांटा गया । सामंती व्यवस्था ने समानता की समाज को बहुत नुकसान पहुंचाया । भारत की संपति को ही अंग्रेजों ने नहीं लूटा , बल्कि जमीन , खद्दानों को भी निर्ममतापूर्ण लूटा । उसने चम्पारण में नील की खेती एक बिगहा में तीन कट्ठा करने को किसानों को मजबूर कर दिया । जिसे तीन कठिया कहा गया ।
उसके विरुद्ध चम्पारण के किसान लड़ रहे थे। 1907 में शेख गुलाब के नेतृत्व उमड़ी किसानों की भीड़ ने हरदिया कोठी के मैनेजर की हत्या कर दी । हत्या के आरोपी शेख गुलाब के जेल जाने के बाद भी किसानों के तेवर में कमी नहीं आई । उस आन्दोलन का नेतृत्व कपिलदेव राय , शीतल राय , पीर महमद मूनिस, खेन्हर राव आदि करते रहे थे । एग्रेरियन कमिटी का सदस्य बन कर गांधीजी ने उस आन्दोलन को कमजोर ही किया ।
1857 में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई को कार्ल मार्क्स ने भारत का प्रथम स्वतंत्रता आन्दोलन कहा था । शिक्षण कार्य जारी है ।
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