बिहार मे शराब माफियाओं को मिल रहे राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण को सामने लाकर सरकार करे कड़ी कार्रवाई.- माले



  



भाजपा को बोलने का हक नहीं, भाजपा शासित मध्यप्रदेश व गुजरात में ऐसी मौतों का आंकड़ा सबसे अधिकअधिक। 


                     ( वर्ल्ड न्यूज फीचर नेटवर्क )

बेतिया,19 दिसंबर। बिहार राज्य के सारण में जहरीली शराब पीने से अब तक 80 से अधिक लोगों की हुई दर्दनाक मौतों के खिलाफ बेतिया में भाकपा-माले ने जहरीले शराब कांड की उच्चस्तरीय जांच कराने, मृतक परिजनों को 10-10 लाख मुआवजा के मांग पर  प्रतिवाद मार्च कर समाहरणालय गेट पर सभा किया। 

भाकपा-माले जिला कमिटी सदस्य सुनील कुमार राव ने कहा कि सारण जहरीले शराब कांड से घर के घर तबाह हो गए हैं. टोलों में सन्नाटा पसरा हुआ है. बेहद दर्दनाक स्थिति है. मरने वाले अधिकांश लोग बेहद गरीब व मजदूर पृष्ठभूमि से आते हैं.  वे विभिन्न जाति समूहों के हैं. इसे सारण में मिड डे मिल कांड के बाद दूसरा जनसंहार है. आगे कहा कि भाजपा इस मसले पर राजनीति कर रही है, जबकि सबसे ज्यादा जहरीली शराब से मौतों का आंकड़ा भाजपा शासित प्रदेशों मध्यप्रदेश व गुजरात के ही हैं. बिहार में भी भाजपा के कई बड़े नेताओं के नाम सामने आते रहे हैं. पूर्व मंत्री रामसूरत राय द्वारा चलाए जा रहे स्कूल से शराब का कारोबार होता रहा है. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय सिन्हा के एक रिश्तेदार के यहां से भी बड़े पैमाने पर शराब की बोतलें पाई गई हैं. सारण कांड में भी यूपी से जहरीली शराब आने की चर्चा है. इसलिए भाजपाइयों को इस मसले पर बोलने का क्या अधिकार है? 

इनौस जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि जहरीले शराब कांड के पीछे शराबमाफियाओं का एक पूरा तंत्र लगा हुआ है, जिसे प्रशासन का भी समर्थन हासिल है. केवल यह मशरख थाने की बात नहीं है बल्कि आज पूरे राज्य में प्रशासन व शराब माफिया गठजोड़ ही जहरीली शराब के जरिए मौत का यह कारोबार कर रहा है। 

भाकपा-माले शुरू से ही शराबबंदी कानून के समर्थन में हैं. हमने बारंबार कहा है कि जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला तभी रूकेगा जब शराब माफियाओं पर कार्रवाई होगी और उसके राजनीतिक संरक्षकों को निशाना बनाया जाएगा. यदि ऐसा हुआ होता तो आज ऐसा दर्दनाक हादसा देखने को नहीं मिलता. शराबबंदी कानून का मतलब यह तो नहीं था कि गांव-गांव में सन्नाटा पसार दिया जाए और टोले-टोले के उजाड़ दिए जाएं. 

भाकपा-माले नेता सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि विगत 17 सालों से राज्य में भाजपा सत्ता पर काबिजल रही है. अतः शराबबंदी के मामले में जो प्रशासनिक विफलता है उस जिम्मेवारी से भाजपा मुक्त नहीं हो सकती. जब वह सत्ता में थी ऐसे दर्जनों कांड हुए. सारण कांड की भी जांच हो तो कई भाजपा के नेता शराबमाफियाओं को संरक्षण देते पाये जाएंगे। 

इनौस जिला सचिव अफाक ने कहा कि एक तरफ जहरीली शराब से मौतों का तांडव है, तो दूसरी ओर पुलिस-प्रशासन ने इसे दलितों-गरीबों के उत्पीड़न का हथियार बना रखा है.  आगे कहा कि शराबबंदी कानून का तो यह कहीं से उद्देश्य नहीं था. शराब की लत के शिकार लोग कोई अपराधी नहीं है, 

माले नेता जवाहर प्रसाद ने कहा कि जहरीली शराब से हुई मौतों पर सरकार संवेदनशील रूख अपनाए, मृतक परिजनों के पुनर्वास व मुआवजे का प्रावधान करे और बीमार लोगों के समुचित इलाज का प्रबंध करे. उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और भविष्य की जिम्मेवारी ले. और सबसे बढ़कर उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन कर शराब माफियाओं-राजनेता-प्रशासन के उस गठजोड़ को निशाना बनाए इस मौके पर रीखी साह, हारून गद्दी, विनोद कुशवाहा, महादेव राम, मोजमील मियां, सम्पूर्ण यादव, रामचन्द्र चौधरी, साहेब चौधरी आदि लोगों ने भी मुआवजा देने की मांग किया। 


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