पटना, 16 जनवरी। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी, पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा विभाग के मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष डा गौतम कुमार ने केंद्र सरकार पर यह आरोप लगाया कि बीजेपी की सरकार में सारे नियम कानून गरीबों के शोषण के लिए बन रहे हैं।
डा कुमार ने वित मंत्री भारत सरकार को पत्र लिखकर बताया कि देश के गरीब मजदूर छात्र नौजवान किसान और आम लोगों का रुपया ही सबसे कम रुपया बैंको में जमा होता है। 200- 400 रुपया का इनके जीवन में काफी महत्व है। और ऐसी स्थिति में मिनिमम बैलेंस के नाम पर गरीबों के खाते से रुपया काटना घोर अन्याय है।
अभी एसबीआई ग्रामीण क्षेत्रों के बैंक खाते के लिए मिनिमम बैलेंस के तहत ग्राहकों को 1000 रुपया रखना अनिवार्य किया है। सेमी-अर्बन इलाकों के ग्राहकों के लिए 2,000 रुपया, वहीं, मेट्रो सिटी के लिए 3,000 रुपये है।
जबकि आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक में मिनिमम बैंक बैलेंस की राशि एक है। शहरी इलाकों के लिए 10,000 रुपये, सेमी-अर्बन इलाकों के लिए 5,000 रुपये और रूरल इलाकों के लिए 2,500 रुपये की लिमिट है।
इस लिमिट के कारण सबसे ज्यादा रुपया गरीबों से वसूल किया जा रहा है। और सबसे ज्यादा तकलीफ गरीब किसान छात्र मजदूर और सामान्य लोगों को है।
ग्राहक हर महीने अपने बैंक के एटीएम से पांच बार बिना किसी शुल्क के कैश निकाल सकते हैं. वहीं, किसी और बैंक के एटीएम का इस्तेमाल करने पर यह लिमिट तीन बार है. नॉन-मेट्रो शहरों में ग्राहक दूसरे बैंक के एटीएम में भी पांच ट्रांजैक्शन बिना किसी शुल्क के कर सकते हैं।बैंकों को एटीएम से फ्री ट्रांजैक्शन की लिमिट पार होने पर हर ट्रांजैक्शन के ऊपर 21 रुपये का चार्ज लगाने की अनुमति मिली थी. इसके पहले यह शुल्क 20 रुपये था. यह नया बदलाव 1 जनवरी, 2022 से लागू हो चुका है.
छात्र जो घर से दूर रह कर पढ़ते हैं। वे अभिभावक से मिलने वाले रुपयों को 200 - 500 कर निकलते हैं। और आस पास एक ही बैंक का एटीएम नही होने से दूसरे बैंक के एटीएम का इस्तेमाल करते हैं। ऐसी स्थिति में तीन बार के बाद की जो कटौती राशि है। उससे गरीब छात्र एक वक्त की सब्जी खरीद सकते हैं। इसलिए एटीएम निकासी की लिमिट बढ़ाने की आवश्यकता है।
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