अंतर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस पर जिला स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ।



बेतिया, 09 अगआयोजनस्त।   अंतर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस के उपलक्ष में एक जिला स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन पंचशील बौद्ध विहार के तत्वाधान में तथा बुद्धिषट सोसाइटी ऑफ इंडिया , राष्ट्रीय मूलनिवासी संघ, तथा यूनिटी ऑफ मूलनिवासी के सहयोग से इला राम ,चौक बुद्ध विहार में आयोजित हुआ ,जिसकी अध्यक्षता मिसाइल इंजीनियर विजय कश्यप ने की, तथा मुख्य वक्ताओं में रामदास बौद्ध, कलाम जौहरी तथा आशा चौधरी एवं उषा बौद्ध रहे ।वक्ताओं ने अपने विचार रखते समय मूल निवासियों की समस्याओं पर तथा देश की एकता और अखंडता के लिए देशभक्तों का राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति तथा राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रति  जागृत होने का आह्वान किया ।मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए रामदास बौद्ध जी ने तथागत भगवान बुद्ध के द्वारा इस देश के मूल निवासियों की  समस्याओं को बताया। देश की 6743 जातियां जो इस देश की मूल निवासी हैं, उनको एक मंच पर आने का तथा राष्ट्र के प्रति जागरूक होने का आह्वान किया, सामाजिक एवं प्रख्यात ज्योतिष एवं पमिस्ट कलाम जौहरी ने एससी, एसटी, ओबीसी और माइनॉरिटी को मूल निवासी के रूप में पहचान देते हुए एक साथ समाज और जमात की बात राष्ट्रहित में करने का आह्वान किया, महिला नेत्री आशा चौधरी ने महिलाओं को विशेष रूप से जागरूक होने का तथा राष्ट्र की समस्याओं के प्रति जानकार बनने हेतु शिक्षित होने का आह्वान किया। मार्गदर्शिका  एवं पंचशील बौद्ध विहार की संरक्षिका उषा बौद्ध ने कर्मकांडो से ऊपर उठकर सामाजिक सेवा एवं राष्ट्र के लिए समर्पित महापुरुषों, जिनमें ज्योति राव

 फुले ,बेगम फातिमा, सावित्रीबाई फुले एवं बाबासाहेब आंबेडकर को पढ़ने के प्रति समाज को आह्वान किया अध्यक्षीय भाषण करते हुए मिसाइल इंजीनियर विजय कश्यप राष्ट्रीय संयोजक प्रबुद्ध भारती ने गोष्टि को संबोधित करते हुए यह बताया की 9 अगस्त 1982 को यु .एन. वो. ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय मूलनिवासी समस्याओं पर चर्चा के लिए , पूरी दुनिया क आमंत्रित किया एवं हर देश का जो मूलनिवासी है उसको सम्मान तथा उसकी संस्कृती को संरक्षण प्रदान होना चाहिए तथा कोई भी दूसरे देश का नागरिक किसी दूसरे देश में वहां का शासन अध्यक्ष नहीं बन सकता यह प्रस्ताव पास किया ।जिसका परिणाम हुआ साउथ अफ्रीका में अंग्रेजों का जो शासन था, अंग्रेजों को 29 साल तक मूल निवासियों की आवाज उठाने वाली नेशनल मंडेला को जेल से बाहर निकाल कर, और उनको राष्ट्रपति के पद पर सम्मान एवं स्थान देना पड़ा, पूरी दुनिया में जो अनुशासन और व्यवस्था कायम हुई है कि, किसी भी देश का शासक दूसरे देश पर आक्रमण एवं विस्तारवाद की नीति के तहत अपने देश का विस्तार नहीं कर सकता यह मानवता एव अनुशासन यू.एन वो की देन है, जो तथागत भगवान बुद्ध का संदेश है तथागत भगवान बुद्ध ने अपने संस्कृति ,भारतीय ज्ञान एवं विज्ञान के द्वारा पूरी दुनिया को भारत में आने के लिए मजबूर किया ,भारत में जो आकर शिक्षा प्राप्त नहीं करता था वह शिक्षित नहीं माना जाता था, इस प्रकार का भारतीय दर्शन सारी दुनिया में सर चढ़कर बोलता रहा ,दुनिया की सारी यूनिवर्सिटि, तक्षशिला हो नालंदा हो विक्रमशिला हो इस सारी यूनिवर्सिटि , भगवान बुद्ध के काल में ही स्थापित हुई और फाहयान जैसे विदेशी यात्रियों ने भारत में आकर मानवता की  स्वतंत्रता न्याय और बंधुत्व की शिक्षा प्राप्त की। कार्यक्रम में सरिक होने वालों में विशेष रूप से रामकिशोर बैठा, इंस्पेक्टर नेतराम, सकलदेव राम, ललिता जी, योगेन्द्र बैठा, सुनील कुमार कुशवाहा उपस्थित रहे।

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