बिहार बंगाली समिति अपने अधिकारों के लिए करेगी आंदोलन बेतिया मे डॉ0 सिन्हा ने कहा


 Meri Pehchan / Report By - अमानुल हक


बेतिया। 09 सितंबर।  बिहार बंगाली समिति अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करेगी। यदि हम अल्पसंख्यक है तो अल्पसंख्यक आयोग में एक बंगला भाषी सेल होना चाहिए। उक्त बातें शनिवार को बेतिया बंगाली कॉलोनी स्थित रामकृष्ण विवेकानंद विद्या मंदिर स्कूल के सभागार में बिहार बंगाली समिति सह पूर्व उपाध्यक्ष बिहार अल्पसंख्यक आयोग पटना के डॉ0 कप्तान दिलीप कुमार सिन्हा ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कही ।डॉ0 सिन्हा ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि एक भाषा प्रकोष्ठ बनेगा ।किंतु आज तक कोई बातचीत नहीं हुई। बंगला की किताबें भी स्कूलों में नहीं है और ना ही शिक्षक भी बहाल किए गए हैं। जबकि बिहार में लगभग 13 लाख बांग्ला भाषी है। बिहार बंगाली समिति बिहार के लगभग बांग्ला भाषाओं का एकमात्र समिति है जो इन बांग्ला भाषा को भारत के संविधान के अनुसार उनके अधिकारों को हासिल करने के लिए प्रयासरत है। इस समिति का सरकारी पंजीकरण 7 अप्रैल 1938 को हुआ था। पटना हाई कोर्ट के वकील बैरिस्टर प्रफुल्ल रंजन दास समिति के पहले सभापति थे। आज से 14 साल बाद 2037 में इस समिति के 100 साल पूरे होंगे। समिति का मुख्य उद्देश्य बिहार के बंगला भाषाओं के साथ अन्य भाषा की एकता सामान्य एकता और सहयोगिता का प्रचार और प्रचार करना ।बांग्ला भाषा और बांग्ला संस्कृति का संरक्षण करना। भारत के संविधान और बिहार राज्य में  कानून के अनुसार बांग्ला भाषियों की भाषा ही अल्पसंख्यक के रूप में उनके अधिकारों की रक्षा करना। बंगला भाषा द्वारा प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान संस्कृत प्रतिष्ठान और उन्हें जन कल्याणकारी प्रतिष्ठानों का आवश्यकता अनुसार अधिग्रहण रक्षा या अर्जन करना और जरूरत पड़े तो नए प्रतिष्ठान का स्थापना करना है ।आज बिहार राज्य में जो  बांग्ला भाषी रहते हैं वह बिहार के स्थाई आधिवासी है ।वही बिहार बंगाली समिति को 85 साल से अपना परिचय स्वरूप पालते आए हैं और 2037 - 2038 में बड़े धूमधाम के साथ शताब्दी मनाने के कार्यक्रम की तैयारी शुरू कर चुके हैं ।इस तैयारी की कड़ी में उक्त सम्मेलन का आयोजन किया गया है ।बिहार बंगाली समिति ने आज तक कई काम किए हैं। जिसमें बिहार में बसे हुए बांग्ला भाषी और बिहार के मूल के भाव लाने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए डोमिसाइल  डोमिसाइल ला को वापसी के द्वारा नाकाम कर दिया। देश के महान सुधारक मातृभाषा में आधुनिक शिक्षा के प्रवर्तक तथा बांग्ला के भाषा गुरु ईश्वर चंद्र विद्यासागर  के बुलाए गए निवास स्थान को खोज निकाला और निशुल्क बालिका विद्यालय स्थापित किया ।केंद्रीय सरकार को कर्माटांड़ रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर विद्यासागर करने के लिए बात किया। ऐसे अनेकों काम बिहार बंगाली समिति द्वारा किए गए हैं। बांग्ला भाषाओं की वर्तमान समस्याएं हैं जिसमें बिहार के बांग्ला भाषी छात्र-छात्राओं के लिए बांग्ला भाषा की किताबें जो इतनी परिश्रम से तैयार किए गए थे और बिहार स्टेट टेक्स्ट पब्लिशिंग कॉरपोरेशन द्वारा छापे जाने थे वे छापे ही नहीं गए ।संबंधित अधिकारियों से मिलना और उनसे किए गए सभी अनुरोध बेकार गए। बांग्ला भाषा द्वारा स्थापित विद्यालयों की हालत ठीक नहीं है और उनके शिकायतों पर शिक्षा विभाग मौन रहती है ।इस अवसर पर विद्युत पाल प्रदेश सचिव, बिहार बंगाली समिति सदस्य बांग्ला साहित्य कोलकाता बुद्धदेव घोष सदस्य विद्यासागर स्मृति रक्षा समिति ,बिहार झारखंड पुष्कर बनर्जी केंद्रीय उपाध्यक्ष ,बिहार बंगाली समिति मदन बनीक जिला अध्यक्ष, बिहार बंगाली समिति बेतियां, राधाकांत देवनाथ जिला सचिव बिहार बंगाली समिति बेतियां सहित कई अन्य उपस्थित रहे। वहीं इसमें मोतिहारी, बगहा जोगा पट्टी ,गोपालगंज ,बैरिया बगहा आदि के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। वहीं मंच का संचालन हरेंद्र पोद्दार समिति सदस्य ने किया।

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