बिहार शिक्षा बोर्ड के गलत नीति से बिहार में इस बार हजारों स्टूडेंट 10+2 नहीं कर पायेंगे,अभिभावक परेशान ?



Meri Pehchan / Report By अमानुल हक़ 

बेतिया, 12 जुलाई।  बिहार सरकार की गलत शिक्षा नीति इस बार सरकार को ले डूबेगी इस तरह की बात आम लोगों से सुनने को मिल रहा है। इस बात से कदापि इनकार नहीं किया जा सकता।छात्र छात्राओं को पढ़ाई अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार करनी होती है लेकिन  बिहार शिक्षा बोर्ड निर्णय लेती है कि वे कहां पढ़ेंगे। जिसके कारण मैट्रिक पास छात्र-छात्राओं एवं उनके अभिभावकों को  भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है जिससे उन में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। बताते चले की 11 वीं में नामांकन हेतु ऑनलाइन फॉर्म भरवारा गया था। जिसमें विद्यार्थियों को 10 विद्यालयों का ऑप्शन देना था कि वह कहां पढ़ना चाहते हैं। इस स्थिति में कई छात्रों ने 10 विद्यालयों का नाम लिखते समय अज्ञानतावश अपने पोषक क्षेत्र एवं आसपास के प्रखंडों के प्लस टू विद्यालयों का नाम दिया और एक दो कम हुआ तो उन लोगों ने 60 से 80 किलोमीटर दूर विद्यालयों का नाम भर दिया। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा नामांकन की सूची जारी करते समय उनके निवास स्थान और आर्थिक स्थिति का ख्याल नहीं रखा गया। जिसके कारण बिहार विद्यालय परीक्षा समिति  द्वारा कई छात्र-छात्राओं को जिला मुख्यालय बेतिया से 60 से 80 किलोमीटर दूर गंडक नदी उस पर ठकराहां, मधुबनी,पिपरासी एवं भितहा  आदि ब्लॉक के प्लस टू के विद्यालयों में इंटर में नामांकन करने हेतु सूची जारी कर दी गई। जो कहीं से भी उचित नहीं है। साथ ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा यह भी आदेश जारी कर दिया गया है कि 14 जुलाई तक सूची के अनुसार जारी विद्यालयों में नामांकन ले लेना है।उसके बाद उनके कठिनाइयों पर ध्यान दिया जाएगा। यह आदेश भी जारी करते समय यह ध्यान नहीं दिया गया कि वर्तमान समय में पिछले एक सप्ताह से गंडक नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और नदी के अगल-बगल के ब्लॉक में बाढ़ की स्थिति बढ़ गई है तथा अफरा तफरी मची हुई है। उन छात्रों की दूर दराज पढ़ने लायक आर्थिक स्थित है कि नहीं इसको भी नजरअंदाज किया गया। यहां इस मामले में अंधेर नगरी वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

   उलेखनीय है कि हमेशा यह देखा गया है कि देहात क्षेत्र के रहने वाले छत्र शहर में पढ़ने के लिए जाते हैं जबकि इस वर्ष पश्चिम चंपारण ज़िला मे यह देखा जा रहा है कि शहर के बच्चो को इंटर में पढ़ने के लिए देहाती इलाकों में पढ़ने के लिए जना पढ़े गा। यह कैसी नीति शिक्षा विभाग ने बना दिया है। इस विंदू पर सरकार और विभाग को एक बार सोचने और समझने की जरूरत है। नही तो इस बार सैकड़ो बच्चे और बच्चियां इंटर की पढ़ाई से वंचित रह जायेंगे और इसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ सकता है।

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