नई दिल्ली। 2035 ईo तक अमेरिकी अंतरिक्ष संगठन यानी नासा मनुष्य को मंगल पर उतारने की योजना बना रहा है। हालांकि पृथ्वी से करीब 22 करोड़ किमी दूर इस ग्रह पर पहुंचाना और वहां से वापस आना आसान नहीं है। मंगल का वातावरण मनुष्य के लिए एकदम प्रतिकूल है। वहां अंटार्कटिका जैसी ठंड है और ऑक्सीजन भी न के बराबर है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में मंगल पर उतरने और वहां से वापसी करने में बहुत जोखिम है। लंबी यात्र में जोखिम और बढ़ जाएगा। यही वजह है कि विज्ञानी मंगल की यात्र के समय में कटौती के उपाय सोच रहे हैं।अमेरिका में सिएटल स्थित अल्ट्रा सेफ न्यूक्लियर टेक्नोलॉजीज ने न्यूक्लियर थर्मल प्रोपल्शन इंजन (एनटीपी) के रूप में इसका एक समाधान खोजा है। यह मनुष्य को सिर्फ तीन महीने में मंगल पर पहुंचा सकता है।अभी मानवरहित यान मंगल पर पहुंचने के लिए न्यूनतम सात महीने लेता है, लेकिन मानवयुक्त यान को नौ महीने लग सकते हैं।अभी प्रयुक्त हो रहे रासायनिक रॉकेटों की तुलना में परमाणु ऊर्जा से चलने वाले रॉकेट ज्यादा शक्तिशाली होंगे। उनकी कार्यकुशलता भी दोगुनी होगी। इनमें ऊर्जा की खपत और कम होगी। इससे अंतरिक्ष में व्यावसायिक अवसर खुलेंगे।
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