मुहर्रम पर्व पर या हुसैन के नारों से गूंजने लगा शहर

 





जमुई, 20 अगस्त।  इस्लाम धर्म के लिए नए साल की शुरुआत मुहर्रम के महीना से ही होती है। मुहर्रम का महीना इस्‍लामी साल का पहला महीना होता है। मुहर्रम महीने की 10 तारीख को इमाम हुसैन की शहादत हुई थी, इसी के याद में मुहर्रम पर्व मनाई जाती है।जिस वजह से इस दिन को सबसे अहम दिन माना जाता है। इस दिन मुहर्रम के 9 वीं और 10 वीं शुक्रवार को लोगों ने रोजा रख कर इबादत भी की।जहां मुहर्रम पर्व को लेकर जगह- जगह के इमामबाड़ों पर लोगों की भीड़ लगी रहती थी उत्साहित माहौल रहता था लेकिन कोरोना ने दो वर्षों से इस उत्साह को फीका कर दिया है। इमामबाड़ों पर सिर्फ छोटे- छोटे बच्चे दिख रहे हैं कोरोना को लेकर जिला प्रशासन के निर्देश पर अखाड़ा पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। बता दें कि  महराजगंज, महिसौड़ी, पैठानचौक, नीमारंग, हांसडीह, सहित विभिन्न्न इलाकों व प्रखंडों में या हुसैन के नारे भले ही गूंज रही हों लेकिन नारों की आवाज़ लोगों की उत्साह नहीं बढ़ा रही है। अधिकांश इमामबाड़ों पर सीपल- ताजिया नहीं बनाई गई। कुछ इमामबाड़ों पर सीपल- ताजिया बनाकर लोगों ने रीति- रिवाज को पूरा किया गया। 


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