प्रशिक्षण के उपरांत सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य एवं पोषण कार्य हेतु बनाया जायगा लाइन लिस्ट।



 



 बेतिया, 07 जुलाई। पश्चिम चंपारण जिला स्थित मझौलिया प्रखंड के स्वास्थ्य एवं पोषण साधनसेवियों का तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आज  पादरी  दोसैया, बेतिया में सम्पन्न हुआ। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य जीविका दीदियों को स्वास्थ्य एवं पोषण विषय पर जागरूक करना तथा गर्भावस्था में पोषाहार के महत्व के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना, गर्भावस्था के तीसरी तिमाही में महिलाओं के स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण, संतुलित खानपान एवं संभावित सुरक्षित प्रसव संबंधी की जानकारी उपलब्ध कराना था। साधनसेवियों  प्रशिक्षुओं को जानकारी दी गई गई गर्भवती महिलाएं किस प्रकार नजदीकी अस्पताल की पहचान, एंबुलेंस और गाड़ी वाले का नंबर, आशा दीदी का नंबर, खून देने वाले की पहचान आदि प्रसव पूर्व की तैयारी की जानकारी अवश्य होनी चाहिए। नवजात शिशु की देखभाल के बारे में बताया गया कि 6 दिन तक बच्चों स्नान नहीं कराना चाहिए, 6 महीने तक मां का दूध पिलाना चाहिए, जबकि 6 से 8 महीने उम्र वाले बच्चे को आधी -आधी कटोरी दो बार ऊपरी आहार देना चाहिए। शिशु को डायरिया से बचाव के प्रति जानकारी दी गई, बच्चे को साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए और उन्हें भोजन कराने से पहले मां को अच्छे तरीके से हाथ धोना चाहिए। सभी प्रशिक्षुओं को बताया गया कि गर्भवती, धात्री एवं जिनके बच्चे 24 माह तक के हैं, उनका लाइन लिस्ट बनाकर गृह भ्रमण कैसे किया जाए।

 प्रबंधक स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता सतीश कुमार ने बताया गया कि हमें इन  विषयों पर समुदाय  स्तर पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है जिससे  कुपोषण, मात्री मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके । संजीदा खातून ने ट्रेनिंग के पश्चात बताया कि प्रशिक्षण से उन्हें आहार विविधता के बारे में जानकारी हुई है। प्रशिक्षक मास्टर रिसोर्स पर्सन सोनी कुमारी ने बताया कि गर्भावस्था से लेकर बच्चे के 1000 दिन महत्वपूर्ण होते हैं इस दौरान बच्चों की उचित देखभाल जरूरी है । बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए इस दौरान बच्चों की उचित देखभाल जरूरी है।

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