चंपारण सत्याग्रह 1917 के याद मे भव्य कार्यक्रम का आयोजन। सि

       


              

 चंपारण, 18 अक्टूबर। आज ही के दिन महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह 1917 विजय दिवस की 105 वी वर्षगांठ पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इस अवसर पर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया ,इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी ,अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 18 अक्टूबर 1917 को ब्रिटिश हुकूमत ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि क्षेत्रीय प्रशासन एवं नील फैक्ट्री प्रबंधकों द्वारा चंपारण के किसानों एवं मजदूरों पर अत्याचार किए गए , चंपारण के मजदूरों एवं किसानों पर लगाए गए कर असंवैधानिक थे ,यह महात्मा गांधी एवं बेतिया चंपारण के लोगों की सत्याग्रह के माध्यम से पहली जीत थी, इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, डॉ शाहनवाज अली ,अमित कुमार लोहिया ,अजहर सिराज ,अमजद अली एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने कहा कि 18 अक्टूबर 1917 को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा आधिकारिक रूप से चंपारण जांच कमेटी की रिपोर्ट को सत्य पाया था ,स्मरण रहे कि 16 जुलाई 1917 को बेतिया चंपारण के ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला एवं 17 जुलाई 1917 को ऐतिहासिक राज हाई स्कूल के प्रांगण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में 10,000 से ज्यादा किसानों ने अंग्रेजों के अत्याचार एवं नील के अभिशाप से मुक्ति की  दास्तान चंपारण जांच समिति के समक्ष दर्ज कराया था  18 अक्टूबर 1917 के सरकार के निर्णय को देश विदेश के सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया ,चंपारण समेत समेत पूरे भारत में  जश्न का माहौल था ,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के नेतृत्व में बेतिया चंपारण के लोगों की सत्याग्रह के माध्यम से (शांतिपूर्ण आंदोलन )की पहली जीत थी, चंपारण सत्याग्रह के प्रेरणा और संबल से महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन ,नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च ) अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन 1942 जैसे अनेक आंदोलनों का  संचालन किया ,देखते ही देखते लगभग 30 वर्षों के बाद ही भारत ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र हो गया, भारत अपनी स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव मना रहा है ,इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा विभिन्न चरणों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है ,जिसमें ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला, ऐतिहासिक राज हाई स्कूल जहां 10,000 से ज्यादा किसानों ने अंग्रेजों के अत्याचार  एवं नील के लिए अभिशाप से मुक्ति के लिए अपना बयान दर्ज कराया था, ऐतिहासिक हजारीमल धर्मशाला एवं ऐतिहासिक राज हाई स्कूल का तेल चित्र शोधार्थियों के लिए दर्शित किया जाएगा,  साथ ही पश्चिम चंपारण मे एकमात्र जीवित नील का पौधा  (सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन कार्यालय में सुरक्षित है) भी विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों एवं छात्रों के लिए प्रदर्शित किया जाएगा, इस अवसर पर वक्ताओं ने बेतिया पश्चिम चंपारण में एक विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय संग्रहालय स्थापित करने की मांग की ताकि नई पीढ़ी अपने पुरखों के बलिदान एवं इतिहास को जान सके। 

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