विश्व बालिका दिवस पर संस्था ने बालिकाओं से किए संवाद, लिंग आधारित भेदभाव, घरेलू हिंसा एवं शिक्षा पर खुल कर हुयी चर्चा

 


 पटना, 11 अक्टूबर।  नन्हीं आँखों में आसामन छूने की कई चाहतें. ख़ुद को साबित करने का हौसला. समाज में पुरुषों की तरह हर क्षेत्र में समान अधिकार एवं भागीदारी का अवसर पाने की सोच. स्नेह एवं प्रेम की जिम्मेदारियों के साथ अपने अधिकार की हसरत. ये सभी चीजें एक बालिका के मन में जरुर होती है. ऐसे भी देश की प्रगति एवं विकास की पटकथा सिर्फ पुरुषों की भागीदारी से संभव भी नहीं है. लेकिन सत्य और व्यवहारिकता में अभी भी एक बड़ी खाई बनी हुयी है. महिलाएं समाज के लिए इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी उन्हें अपनी उपयोगिता साबित करनी पड़ती है. ऐसी चुनौतियों के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को विश्व बालिका दिवस मनाया जाता है. पटना के दानापुर एवं बिहटा प्रखंड में महिलाओं की अधिकार एवं उनके स्वास्थ्य के लिए कार्य करने वाली सहयोगी संस्था ने विश्व बालिका दिवस पर कई बालिकाओं से बात की एवं उनकी राय जानने की कोशिश भी की. इस दौरान बालिकाओं ने लिंग आधारित भेदभाव, घरेलू हिंसा, बालिकाओं के लिए शिक्षा की महत्ता एवं वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में महिलाओं की भूमिका जैसे ज्वलंत मुद्दे पर परिचर्चा हुयी। 

500 से अधिक बालिकाओं ने किया प्रतिभाग: 


सहयोगी संस्था की कार्यकारी निदेशक रजनी ने बताया कि विश्व बालिका दिवस के मौके पर उनकी संस्था ने पटना के दानापुर एवं बिहटा प्रखंड के लगभग 20 गाँवों की 500 से अधिक बालिकाओं के साथ वार्तालाप किया. विश्व बालिका दिवस होने के कारण बातचीत का मुद्दा समाज एवं परिवार से उनकी उम्मीदों , भविष्य में उनकी योजना एवं वर्तमान समय में बालिकाओं एवं महिलाओं की सक्रियता पर अधिक था. उन्होंने बताया कि परिचर्चा के दौरान कई रोचक एवं जरुरी बातें बाहर निकल कर आई. कुछ बालिकाओं ने इस बात को स्वीकारा कि पहले की तुलना में महिलाओं की समाज में सक्रियता बढ़ी है. साथ ही उनकी भूमिका को लोग अधिक तरजीह भी देने लगे हैं. जबकि कई बालिकाओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि अभी भी उनके परिवार एवं समाज में लड़कों की तुलना में उन्हें कम तरजीह मिलती है. शिक्षा में भी लड़कियों की तुलना में लड़कों को अधिक आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है। 


सामाजिक कुरीतियों पर भी बालिकाओं ने रखे अपने विचार: 

रजनी ने बताया कि परिचर्चा के दौरान कई लड़कियों ने लिंग आधारित भेदभाव के साथ घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दे पर भी अपने विचार रखे. उन्होंने बताया कि कई बालिकाओं ने घरेलू हिंसा को समाज के लिए अभिशाप बताया. इसके लिए पुरुषों को अधिक संवेदनशील होने की बात कही. साथ ही बताया कि आज के समय में महिलाओं को भी अधिक सशक्त होने की जरूरत है. उन्हें अपनी परिवार की जिम्मेदारियों के निर्वहन करते हुए अपने अधिकार को भी समझने की जरूरत है. वहीं कुछ बालिकाओं ने पुरुषों की गंदी मानसिकता पर भी बात की. उनका कहना था कि कई जगह लड़कियों एवं महिलाओं के साथ छेड़-छाड़ एवं बलात्कार की घटना सुनने को मिलती है. जिसमें पुरुषों की कुत्सित मानसिकता का अंदाजा लगता है. ये इसलिए भी होता है क्योंकि पुरुष खुद को अधिक शक्तिशाली एवं ख़ुद को महिलाओं की तुलना में अधिक सक्षम महसूस करते हैं. इस सोच पर सभी पुरुषों को काम करने की जरूरत है। 

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