बेतिया। प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा किसान विरोधी तीन कानून लाने के बाद पिछले 11 महीने से जनतांत्रिक अधिकारों के अधीन शांतिमय आन्दोलन चल रहा है ।तब से 11 बार किसान सरकार से वार्ता करने गए और कहा की आप इस कानून को वापस ले लो । यह देश के किसानों के हित में नहीं है । सुप्रीमकोर्ट ने भी गंभीर चिंता जताई और केन्द्र सरकार को पहल करने का आदेश दिया ।
तो क्या सरकार ने किसान विरोधी तीनों काले कानून वापस ले लिए ?
क्या सरकार ने एमएसपी की गारंटी दे दी ?
यह सवाल एक बार फिर सुप्रीमकोर्ट को भारत सरकार से पूछना चाहिए था । इतने लम्बे आन्दोलन जो दुनिया का मिशाल बन चुका है । उसके मांगों को मोदी सरकार क्यों नहीं मान रही है । लेकिन ऐसा हो न सका ।
क्या केन्द्र सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों से कानून बनाने से पहले विचार विमर्श किया था ? क्या सरकार ने कभी यह सोचा की किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिल रहा है । किसानों के फसलों का दाम स्वामीनाथन कमीशन के अनुशंसाओं के आधार पर देने की बात अपने चुनाव घोषणापत्र में लिखा और उस आधार पर किसानों का वोट लिया तो अब किसानों का मांग कैसे नाजायज है ?
सुप्रीमकोर्ट केन्द्र सरकार को दोषी मानकर करवाई क्यों नहीं करती । इसलिए किसान आंदोलन आज भी वाजिब है और देश हित में, किसान हित में, मजदूर हित में और जनहित में है।
जब भारत के 99 % किसानो का संगठन सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों के खिलाफ है । अब इस आंदोलन से जन भावनाएं भी जुड़ चुकी हैं। यह आंदोलन देश को बचाने का आंदोलन बनता जा रहा है । यह आन्दोलन देश का खेत और खलिहान को बचाने का आंदोलन है । कोर्ट को सरकार से पूछना चाहिए था कि क्या उसने उपरोक्त पूछे गए सवालों पर कानून बनाने से पहले किसानों , मजदूरों और जनता से रायशुमारी किया था । यदि नही तो सरकार पर शख्त कारवाई हो ।
आज आपका यह सबसे बड़ा कर्तव्य बनता है कि देश हित में, समाज हित में और राष्ट्रहित में इस किसान आंदोलन को जायज करार दें और इसमें न्यायिक दृष्टिकोण से आंदोलन की मदद करें । क्योंकि सरकार विरोधी नीतियों का प्रतिरोध करना जनता और किसानों और मजदूरों को मिले कानूनी और संवैधानिक अधिकार की रक्षा करने की जिम्मेवारी भी कानून की ही है ।
भारत का संविधान देश की जनता, देश के किसानों, देश के मजदूरों की हित की रक्षा के लिए ही बनाया गया है । न कि चंद देशी विदेशी पूंजीपतियों की हित की रक्षा के लिए है ।
इस सरकार को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोजगार, दवा आदि से कुछ लेना देना नही है । वह केवल चंद देशी विदेशी कारपोरेट घरानों की हिफाजत की काम में लगी हुई । आप 99 प्रतिशत बनाम 1% की लड़ाई में कहां पा रहे हैं ।
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