मुजफ्फरपुर (बिहार), 8 अक्टूबर। मुशहरी के प्रह्लादपुर गांव की रहने वाली फूलमती देवी अपने जीवन के लगभग 75 वसंत देख चुकी हैं। बढ़ती उम्र में पांच वर्ष पहले फूलमती को जब पता चला कि उन्हें फाइलेरिया है तो उनके होश उड़ गए। दोनों पैरों में सूजन और बुखार से फूलमती का मन इस उधेड़बुन में था कि लाचार शरीर पर फाइलेरिया का बोझ कैसे सहन होगा। प्राइवेट चिकित्सक ने फूलमती के रोग को पहचान तो लिया था , पर शायद उसका निराकरण उसके पास न था। हताश फूलमती के दो वर्ष ऐसे ही बीत गए। प्राइवेट चिकित्सक की दवाइयों से कुछ आराम तो मिला पर तीन वर्ष पूर्व फिर उसके दोनों पैरों में सूजन ने उसे असहनीय दर्द दिया। पर इस बार उसकी रक्षक एक आशा दीदी बन कर आयी। जिसके दिए गए सुझाव और एमडीए राउंड में खिलाई गयी गोलियों से उसके सूजन में लगातार कमी आती दिखी। अब फूलमती लगातार तीन साल से डीईसी और अल्बेंडाजोल की गोली खा रही हैं। वहीं उसके दोनों पांवों में भी कोई सूजन नहीं है।
डीईसी व अल्बेंडाजोल की गोली ने दिलाई राहत
फूलमती कहती हैं आशा दीदी की डीईसी व अल्बेंडाजोल की गोली मेरे लिए संजीवनी की तरह काम आयी। उन्होंने कहा था कि इसके खाने से शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्मजीव मरने लगेंगे । वहीं इसका सेवन वह 5 साल तक लगातार करती हैं तो उनके शरीर के सारे फाइलेरिया के सूक्ष्मजीव मर जाएंगे । आज से तीन साल पहले मैंने जब इस दवा की पहली खुराक खायी थी तभी से इसका असर दिखने लगा था। मैं इसे लगातार तीन साल से खा रही हूं। अब मेरे पैरों में सूजन भी नहीं है और आराम से चल फिर सकती हूं।
दूसरों को भी देती हैं एमडीए दवा खाने की सलाह
फूलमती अपनी गंवई भाषा में ही लोगों को सलाह देती हैं कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे एमडीए कार्यक्रम में डीईसी और अल्बेंडाजोल की दवा को जरूर खाएं। यह आपमें फाइलेरिया की संभावना को नगण्य कर देता है। फूलमती कहती हैं कि जिस दिन से मैंने इस दवा के फायदे देखे हैं मैंने अपनी बहु, बेटा और घर के बड़े बच्चों को भी खिलवाती हूं। आशा दीदी की एक बात और याद है जो लोगों को जरूर बताती हूं कि यह मच्छर से फैलने वाला रोग है इसलिए रात को सोते वक्त मच्छरदानी, फुल आस्तीन के कपड़े पहन कर ही सोएं।
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