कालाजार के खात्मे के लिए घरों में कराएं डीडीटी का छिड़काव: डॉ सतीश कुमार

 


मुजफ्फरपुर, 15 नवंबर। जिले में कालाजार रोगियों की खोज के लिए आशा को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए कुल 8 बैच में  15 से 20 नवंबर तक सदर स्थित एमसीएच भवन में आशा दीदी को प्रशिक्षित किया जाएगा। जिसमें वे लक्षण के आधार पर रोगियों की पहचान करेगी। कोविड को ध्यान में रखते हुए पारू और मीनापुर के लगभग 50 आशा दीदी को पहले ही प्रशिक्षित किया जा चुका है। जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि  प्रशिक्षण के बाद आशा अपने क्षेत्र में दी गयी समयावधि में सभी घरों में कालाजार  मरीजों को खोजेंगी एवम प्रतिदिन की रिपोर्ट अपने आशा फैसिलिटेटर को देंगी। वहीं केटीएस और केबीसी कालाजार लक्षण के रोगियों का सत्यापन कर उसके जांच सुनिश्चित करवाएगी। आशा फैसिलिटेटर, आशा के द्वारा किए जा रहे कार्यों पर नजर रखेंगी। प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक घर-घर कालाजार खोज कार्यक्रम की निगरानी एवं अपने प्रखंड के कालाजार तकनीकी पर्यवेक्षक एवं जिला सामुदायिक उत्प्रेरक को ब्यौरा उपलब्ध कराएंगे। आशा कालाजार के लक्षण वाले मरीज को पीएचसी रेफर करेगी जहां डॉक्टर मरीज की डायग्नोस्टिक करेंगे । उसके बाद आर. के. 39  किट से जांच की जाती है । प्रशिक्षण कार्यक्रम में भीबीडीसी सुधीर कुमार, भीबीडीओ रौशन कुमार, राजीव कुमार ने भी आशाओं को प्रशिक्षित किया।  

कालाजार की ऐसे करें पहचान:

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार  ने बताया कि कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है। कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है। दरअसल, यदि किसी संक्रमित व्यक्ति को बालूमक्खी काट लेती है और वह फिर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटती है तो इस तरह से स्वस्थ्य व्यक्ति भी चपेट में आ जाता है। इस लिहाज से यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। साथ ही मरीज को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है। यदि इलाज में देरी होती है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है। बाल व त्वचा की परत भी सूखकर झड़ते हैं। उन्होंने बताया कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर क्षेत्र की आशा से तुरंत संपर्क करना चाहिए और रोगी को किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए।


- मरीजों को आर्थिक सहायता का मिलता है लाभ : 

डीभीबीडीसीओ डॉ सतीश ने बताया कि कालाजार से पीड़ित रोगी को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में बीमार व्यक्ति को राज्य सरकार द्वारा 6600 रुपए और केंद्र सरकार द्वारा 500 रुपए दिए जाते हैं। यह राशि कालाजार संक्रमित व्यक्ति को संक्रमण के समय में दी जाती है। वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार संक्रमित रोगी को केंद्र सरकार की तरफ से 4000 रुपए दिए जाते हैं।

- कालाजार से बचाव के लिए डीडीटी छिड़काव ही सबसे बेहतर उपाय : डॉ सतीश ने कहा कि कालाजार से बचाव के लिए डीडीटी छिड़काव ही सबसे बेहतर उपाय है। साथ ही इससे बचाव के लिए लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। इसके लिए लोगों को साफ-सफाई समेत रहन-सहन में बदलाव करने की आवश्यकता है। वहीं, उन्होंने बताया, कालाजार मादा बालू मक्खी (सैन्ड फ्लाई) के काटने से फैलता है। डीडीटी के छिड़काव से ही बालू मक्खी के प्रभाव को पूर्णत: खत्म किया जा सकता है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा डीडीटी का छिड़काव कराया जा रहा है। जिससे बालू मक्खी को समाप्त किया जा सके। 

- लक्षण दिखते ही कराएं  इलाज, सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है समुचित व्यवस्था 

डॉ सतीश ने कहा कि कालाजार का लक्षण दिखते ही तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पतालों में जाँच करानी चाहिए और चिकित्सकों की सलाह के अनुसार उचित व समुचित इलाज कराना चाहिए। सरकारी अस्पतालों में जाँच एवं इलाज की मुफ्त समुचित व्यवस्था उपलब्ध है। साथ ही इन बीमारियों से बचने को जमीन (सतह) पर नहीं सोएं । मच्छरदानी का नियमित रूप से उपयोग करें। पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें । 


- कालाजार के लक्षण :

- लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना। 

- वजन में लगातार कमी होना।

- दुर्बलता।

- मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।

- व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।

- प्लीहा में नुकसान होता है।


- छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल : 

- छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें।

- घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, एवं गोहाल के अन्दरूनी दीवारों पर छः फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं छिड़काव के दो घंटे बाद घर में प्रवेश करें।

- छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें।

- ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, जिसमें कीटनाशक (एस पी) का असर बना रहे।

- अपने क्षेत्र में कीटनाशक (एस पी) छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें।

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