संविधान जीवन का अनुशासन है l

 


खगड़िया (बिहार) 26 नवंबर। जीवन के अनुशासन का नाम ही संविधान है। संविधान के अनुसार चलकर ही हमारा समाज और देश उन्नति कर सकता है। उक्त बातें संविधान दिवस पर  बोलते हुए वरीय अधिवक्ता अशोक नारायण कर्ण ने कही। संविधान दिवस का आयोजन  अधिवक्ता परिषद बिहार की खगड़िया जिला ईकाई के तत्वावधान में देशरत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद सार्वजनिक पुस्तकालय चित्रगुप्त नगर खगड़िया में शुक्रवार को किया गया। श्री कर्ण ने कहा कि सामान्य जन को जागरूक और सशक्तिकरण का मूल आधार है। विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, पत्रकारिता और समाज हमारे लोकतंत्र का पांच आधार है। इन पांचों पीलर पर नजर रखने की जबावदेही अधिवक्ताओं की है। हमारा संविधान सभी कानूनों का अभिभावक है। ऐसे में देश में संवैधानिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए अधिवक्ताओं को सतर्क, सक्षम और सामर्थ्यवान बनना होगा। वकीलों के बिना ना तो न्यायपालिका चल सकती है और न ही संवैधानिक व्यवस्था चल पाएगी। संविधान लागू होने के सात दशकों में कार्यपालिका भ्रमित और राजनीति निरंकुश हो गई है। इसे अपने दायरे में रखने का काम अधिवक्ताओं का ही है। इस अवसर पर बोलते हुए अधिवक्ता राकेश कुमार सिन्हा बबलू ने कहा कि लोकहित याचिका के माध्यम से न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा के अनेक प्रयास किए हैं।  गोपाल कुमार ने कहा कि हमें संविधान के अनुसार काम करना चाहिए। संजीव झा ने कहा कि संविधान दिवस का आयोजन स्वागत योग्य है। यह सिलसिला जारी रहना चाहिए। इस अवसर पर अधिवक्ता केनेडी कुमार, देशरत्न अम्बष्ट, वरीय अधिवक्ता मुकेश कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अधिवक्ता परिषद की जिला इकाई के संयोजक और कार्यक्रम के आयोजक अजिताभ सिन्हा ने कहा कि आज के दिन संविधान सभा के सभी सदस्यों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है। भारत का संविधान 299 सदस्यों और विभिन्न समितियों के समन्वित प्रयास का परिणाम है।  श्री सिन्हा ने संविधान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ सचिदानंद सिन्हा, अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद, संविधान सभा के सलाहकार बीएन राव, डॉ भीमराव अम्बेडकर सहित सभी लोगों को याद करते हुए कहा कि संविधान दिवस के दिन हमें संविधान निर्माताओं के सपने का भारत बनाने का संकल्प लेना चाहिए। कार्यक्रम में अधिवक्ता रविन्द्र कुमार सिन्हा, गगन कुमार सहित अनेक अधिवक्ता और गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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