चंपारण, 27 दिसंबर। पश्चिम चंपारण के महेश्वर नाथ महामाया महिला कॉलेज बेतिया में साढे तीन करोड़ से अधिक सरकारी अनुदानित राशि का बंदरबांट एवं वित्तीय अनियमितता करने के मामलें में बेतिया व्यवहार न्यायालय के दिये गये आदेश में बेतिया के मुफसिल थाना की पुलिस ने कालेज प्रबन्धन और प्राचार्य पर प्राथमिकी संख्या 10/2021तो छ: महीना पहले दर्ज कर ली, परन्तु दर्ज आरोपियों को कानून के कटघरे में खड़ा करने में अब तक नाकामायब रही। महाविद्यालय सुत्रों की बात अगर मानी जाय, तो पुलिस के त्वरित कार्रवाई नहीं करने के कारण महाविद्यालय में लूट की छूट जारी है।
मिली जनकरी के अनुसार महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा छात्रा एवं उनके अभिभावकों का खूब आर्थिक दोहन किया जा रहा है, प्रत्येक छात्रा और अभिभावक से हर रसीद पर अवैध रूप से सौ-दो सौ रुपए वसूली की जाती है, जबकि छात्राओं से नामांकन हेतु विश्वविद्यालय ऑनलाइन अप्लाई करते समय ही अप्लाई की फीस ले लेती है और जिस महाविद्यालय में नामांकन होता है। नामांकित छात्राओं की संख्या के हिसाब से संबंधित महाविद्यालय को विश्वविद्यालय द्वारा राशि प्राप्त करा देती है। फिर भी इस महाविद्यालय के प्राचार्य प्रत्येक छात्रा से तीन सौ रुपए के दर से वसूल करते हैं।
इस तरह के मामले की शिकायतों पर विश्वविद्यालय भी कोई कार्यवाही नहीं करती है, जिस से बाध्य होकर महाविद्यालय के परसियन विभाग के व्याख्याता प्रो. अख्तर हुसेन ने स्थानीय न्यायालय में आवेदन दिया, तो न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नगर थाना बेतिया को प्राथमिकी दर्ज कर कार्यवाही करने हेतु निर्देशित किया, जिस पर वाद संख्या 10/2021 दस धाराओं में दर्ज हुई।उपर्युक्त सन्दर्भ में परसियन विभाग के व्याख्याता प्रो. अख्तर हुसेन ने बताया कि अनियमितता के जांच कार्य को बाधित एवं प्रभावहीन करने हेतु प्राचार्य अरूण कुमार और उनके सहयोगियों ने बड़ा प्रयास किया है।
आगे बताया कि प्राचार्य एवं अन्य पर दस में सात नॉन बेलेबल धाराओं में वाद अंकित है, आरोपी पुलिस को झांसे में लेकर पुलिस के साथ उठना बैठना और महाविद्यालय में आकर सारा लूट-खसोट का कामकर रहा है, जिससे बिहार सरकार कि साफ-सुथरी सुशासन नीति भ्रमित हो रही है। प्रशासन एवं सरकार को चाहिए कि जब स्थानीय पुलिस डरपोक साबित हो रही है, तो इस मामलें को विजिलेंस को दे दें।वहीं दुसरी तरफ केस के आई ओ मोहम्मद मुमताज से पुछने पर बताया कि आरोपियों से लिखित जबाब मांगा गया था, जिसका जबाब आरोपियों ने दे दिया है।
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