सुरक्षित गर्भसमापन महिला स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक

 




सीतामढ़ी,17 जनवरी ।सुरक्षित गर्भसमापन के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से आईपास के द्वारा़ डुमरा प्रखंड के बरियारपुर गाँव माँ दुर्गा ग्राम संगठन में सोमवार को सुरक्षित गर्भपात पर 27 जीविका दीदियों का उन्मुखीकरण किया गया। इसमें बताया गया कि गर्भपात के लिए सही समय सही स्थान और सही प्रशिक्षित डॉक्टर से ही कराना कानूनी है। उन्मुखीकरण में बताया  बताया गया कि नीम हकीम झोलाछाप डॉक्टर, गांव के ओझा भाई और पपीता के बीज से गर्भ समापन कराना अवैध और गैरकानूनी है। वहीं अनैतिक रूप से हुए गर्भ का समापन करना कानूनी रूप से जायज है। 20 सप्ताह तक का गर्भ समापन कराना जायज है। कार्यशाला में आईपास के प्रतिनिधि राजीव ने एमटीपी एक्ट 1971 में हुए संशोधन के विषय से अवगत कराया। साथ ही यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी अधिकारों के विषय पर भी चर्चा की गयी। 


असुरक्षित गर्भ समापन मातृ मृत्यु का एक मुख्य कारण:

अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य पत्रिका लैंसेट में छपे एक लेख के अनुसार भारत में होने वाले कुल गर्भ समापन में लगभग दो-तिहाई स्वास्थ्य केंद्र के बाहर होते हैं। बिहार में 1 वर्ष में होने वाले 12.5 लाख गर्भ समापन में से 84% स्वास्थ्य केंद्र के बाहर होते तथा 5% गर्भ समापन अप्रशिक्षित सेवा प्रदाता द्वारा किए जाते हैं। असुरक्षित गर्भ समापन मातृ मृत्यु का एक मुख्य कारण है। इसलिए इस विषय पर कार्य करने की आवश्यकता है। पिछले 5 दशकों के दौरान महिलाओं की यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य विशेषकर सुरक्षित गर्भपात के क्षेत्र में काफी बदलाव देखा गया है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप सुरक्षित गर्भ समापन की जानकारी व सेवाओं का काफी विस्तार हुआ है। एमटीपी एक्ट 1971 के पारित होने से गर्भ समापन को कानूनी दर्जा मिला तथा महिलाओं के गर्भ समापन सेवाओं के लिए कुशल माहौल बना। इसके बावजूद आज भी प्रशिक्षित सेवा प्रदाताओं की कमी, कानूनी गर्भ समापन की कम जानकारी तथा इससे जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों के कारण कई महिलाओं को सुरक्षित गर्म समापन सेवा नहीं मिल पाती हैं। उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भारत में प्रतिदिन 10 महिलाओं की मृत्यु और सुरक्षित गर्म समापन से जुड़ी जटिलताओं के कारण होती है। असंख्य महिलाओं को जीवन पर्यंत परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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