यक्ष्मा केंद्र में हो रहा है टीबी रोगियों का इलाज , 2 सप्ताह से ज्यादा खांसी, बुखार होने पर टीबी की जाँच जरूरी

  



मोतिहारी, 19 फरवरी। 'टीबी को क्षय रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो जीवाणुओं के कारण होता है। इसमें मरीज को तीन सप्‍ताह से ज्‍यादा खांसी,बुखार विशेष तौर से शाम को बढने वाला बुखार, छाती में दर्द,वजन का घटना,भूख में कमी व

बलगम के साथ खून आना लक्षण पाए जाते हैं। ऐसे लक्षणों के होने पर मरीज को तुरंत सरकारी अस्पतालों में 

टीबी की जॉंच करानी चाहिए। " यह कहना है सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार का। उन्होंने बताया कि टीबी की जॉंच और इलाज सभी सरकारी अस्‍पतालों में बिल्‍कुल मुफ्त किया जाता है।


कई प्रखंडों में हो रहा है टीबी मरीजों का इलाज-

टीबी अस्पताल में टीबी से ग्रसित लोगों की रोग से संबंधित स्क्रीनिंग व जांच हो रही है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रंजीत राय ने बताया कि पूर्वी चम्पारण के 27 प्रखंडों में टीबी की जाँच व इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हैं । उन्होंने बताया कि पहले से जिले में टीबी के मरीजों में कमी आई है। एक्स रे टेक्नीशियन ललित कुमार, सुपरवाइजर मुख्यालय नागेश्वर सिंह व अरविंद कुमार ने बताया कि जिले में टीबी मरीजों का अच्छे ढंग से इलाज किया जाता है। जब प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी होती तो उसे जिला अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जाता है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी ने बताया कि कभी- कभी टीबी के 4 लक्षण  प्राप्त होते हैं । जैसे कफ, फीवर, वजन घटना, रात में पसीने होना । इन सभी लक्षणों के होने पर मरीजों की  टीबी की  जाँच की  जाती  है।


बलगम की सीबीनॉट से जांच की जाती है-

जो मरीज पहले से दवा खाये रहते हैं उनकी बलगम की सीबीनॉट से जांच की जाती है । इस जांच से एमडीआर-टीबी यानी मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट टीबी  का पता चलता है जिससे मरीजों  के इलाज में सहूलियत होती है । टीबी शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है जैसे  छाती, फेफड़ों, गर्दन, पेट, आदि । टीबी का सही समय पर जाँच होना बहुत ही आवश्यक होता है । तभी हम इस घातक बीमारी से बच सकते हैं । डॉ रॉय ने बताया कि टीबी उन्मूलन में प्राइवेट डॉक्टर भी सहयोग कर रहे हैं।  टीबी उन्मूलन में प्राइवेट डॉक्टर  मरीजों को इलाज के साथ उनके कोर्स को पूर्ण करने के लिए भी मरीज को प्रेरित करें। वहीं संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ राय  ने बताया कि दो हफ्तों से ज्यादा की खांसी, खांसी में खून का आना, सीने में दर्द, बुखार, वजन का कम होने की शिकायत हो तो वह तत्काल बलगम की जांच कराएं। जांच व उपचार बिल्कुल मुफ्त है। समय समय पर ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चला कर लोगों में जागरूकता फैलायी जाती है ।


पोषण योजना बनी मददगार-

टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दी  जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जा रहा है। टीबी मरीज को 6 महीने तक दवा चलती है। इस 6महीने की अवधि तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपये दिए जाते हैं । 


ये हैं टीबी बीमारी के प्रारंभिक लक्षण : 

- 15 दिन या इससे अधिक दिनों तक लगातार खांसी या बुखार रहना 

- बलगम में खून आना 

- एक माह या इससे अधिक दिनों तक सीने में दर्द रहना 

- लगातार शरीर वजन कम होना एवं कमजोरी महसूस होना।

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