मुजफ्फरपुर, 17 फरवरी। कुपोषण अभियान को गति देने की दिशा में डिस्ट्रिक्ट कन्वर्जन एक्शन प्लान (डीसीएपी) उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन डाइरेक्टर डीआरडीए चंदन चौहान की अध्यक्षता में किया गया। पोषण अभियान की सफलता के लिए विभिन्न विभागों के आपसी समन्वय पर बल दिया गया।
उन्मुखीकरण कार्यक्रम में आंकड़ों के रणनीतिक उपयोग पर विस्तृत चर्चा करते हुए किसी भी कार्यक्रम की कार्ययोजना बनाने में डाटा के महत्व एवं उपयोगिता पर बल दिया गया। विभिन्न विभागों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को एक साथ संकलित करने से मुख्य कार्य बिन्दु निर्धारण में आसानी होगी। डाटा और डाटा संग्रहण के विभिन्न मानकों को अच्छे से समझ कर उसका उपयोग करने से किसी भी कार्यक्रम की सफलता की संभावना बढ़ जाती है।
पोषण को लेकर विभिन्न विभागों द्वारा किए जा रहे कार्यों की बिंदुवार चर्चा करते हुए इस संबंध में डाॅ अनुपम श्रीवास्तव, डेप्युटी डाइरेक्टर अलाइव ऐंड थ्राईव द्वारा कहा गया कि सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ कार्य करते हुए निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में ठोस कार्य करना सुनिश्चित करें ताकि जिले में कुपोषण की समस्या को कम किया जा सके।
कार्यक्रम में पीपीटी के माध्यम से विभिन्न विभागों यथा:- आईसीडीएस, स्वास्थ विभाग, जीविका, पीएचइडी, पीडीएस, शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग के आपसी समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया गया।
अलाइव एंड थराइव के डेप्युटी डायरेक्टर अनुपम श्रीवास्तव ने बताया सभी विभाग पोषण अभियान के लक्ष्य को पूरा करने हेतु चार प्रमुख स्तम्भों को ध्यान में रखते लक्ष्य प्राप्ति में सहायक बने।
पोषण के चार प्रमुख स्तंभ:
-गर्भावस्था से प्रथम 1000 दिन
-नियमित एवं सही समय पर मॉनिटरिंग
-सामुदायिक जागरूकता
-विभागीय समन्वय
डीपीओ आईसीडीएस चांदनी सिंह ने बताया कि विभिन्न विभागों के पास उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण कर कुपोषण के विरुद्ध सही एवं प्रभावी रणनीति बना कर लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में सरकार के अलग-अलग अंग एवं विभागों को कार्य करना होगा। तभी पोषण अभियान के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। बिना आपसी समन्वय के पोषण अभियान के विभिन्न आयामों को जोड़ पाना कठिन है।
कुपोषण के विरुद्ध अभियान गर्भावस्था से ही हो जाती है। गर्भावस्था के प्रथम 1000 दिन मां एवं बच्चे दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। बच्चे के जन्म से लेकर दो वर्ष तक यदि उचित पोषण नहीं मिलता है तो बच्चे में कुपोषण के स्थाई लक्षण आ जाते हैं। वहीं दो वर्ष से पांच वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इससे बचाव के लिए विभिन्न विभागों को एक साथ समन्वय स्थापित कर समय समय पर मॉनिटरिंग एवं जागरूकता अभियान, टीकाकरण, स्वच्छता अभियान, पोषण एवं अन्य सुविधाओं का लाभ सही समय पर देने से कुपोषण मुक्त होने के लक्ष्य तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
वर्तमान में मुजफ्फरपुर में कुपोषण का स्तर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। जिले में पांच वर्ष से कम उम्र के 42.2% बच्चे कुपोषण के शिकार हैं।
जिला समन्वयक राष्ट्रीय पोषण मिशन सुषमा सुमन ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पोषण अभियान की सफलता के लिए सभी विभाग अपनी जिम्मेदारियों को पहचान कर मानक तय करते हुए कार्य योजना तैयार करें और मासिक या त्रैमासिक अनुश्रवण बैठक में उपलब्ध आंकड़ों को विभिन्न विभागों के साथ साझा करते हुए कमजोर पक्ष की पहचान करें और उसके अनुरूप कार्य करें।
कार्यक्रम में डीपीओ आईसीडीएस चांदनी सिंह, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ ए के पांडे, जिला शिक्षा पदाधिकारी ए एस अंसारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला समन्वयक, राष्ट्रीय पोषण मिशन सुषमा सुमन, डीपीएम जीविका अनीशा, जिला योजना अधिकारी बबन कुमार, अलाइव एंड थ्राइव के कंसल्टेंट मनीष कुमार, शक्ति शरण आर्य, डीसीएम राज किरण सहित केयर, पिरामल स्वास्थ्य एवं अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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