अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 124 वी पुण्यतिथि


     


        

बेतिया, 27 मार्च। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 124 वीं पुण्यतिथि पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वधान में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया ।जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रुप से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 24 मार्च 1898  को सर सैयद अहमद खान का निधन हुआ था। उनका सारा जीवन राष्ट्र एवं समाज के लिए समर्पित रहा ‌। ईस्ट इंडिया कंपनी में बतौर क्लर्क नौकरी करते हुए सैयद अहमद खान ने 1857 के ग़दर पर अपनी किताब ‘असबाब-ए-बग़ावत-ए-हिंद’ में सीधे-सीधे तौर पर अंग्रेजों को ज़िम्मेदार ठहराया एवं वास्तविक सच्चाई से दुनिया को रूबरू कराया।  अंग्रेज़ों को लगता था बगावत की आग मुग़ल दरबार में ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों ने लगाई है। सर सैयद अहमद खान  ने अंग्रेजों पर हिंदुस्तानी संस्कृति की अनदेखी करते हुए रियासतों को हड़पने का इल्ज़ाम लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि अंग्रेजों को अपने राजकाज में भारतीय की भर्ती करनी चाहिए ।

अंग्रेजों ने भारतीयों को  इसलिए ज़िम्मेदार माना था कि एक आईसीएस अफ़सर विलियम हंटर ने उन पर एक रिपोर्ट पेश की थी. सर सैयद अहमद खान ने अपनी किताब की एक प्रतिलिपि, यानी कॉपी उन्होंने बरतानिया सरकार को इंग्लैंड भेजी।इसमें कोई दोराय नहीं कि सैयद अहमद खान उस दौर के सबसे ज़हीन इंसानों में से एक थे. गणित, चिकित्सा और साहित्य कई विषयों में वे पारंगत थे. इस बात की गवाही मौलाना अबुल कलाम ने  अपने भाषण  मे की थी।

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