यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सकुशल नि: शुल्क भारत लाने का प्रबंध करें मोदी सरकार- इनौस।






बेतिया, 2 मार्च। हमें युद्ध नहीं, शांति चाहिए! रुसी राष्ट्रपति पुतिन होश में आओ  यूक्रेन पर मिलिट्री हमला बंद करो! यूक्रेन पर रुसी सैन्य आक्रमण और U S-NATO द्वारा पूर्वी यूरोप में विस्तार पर रोक लगाओ,भारत सरकार, रुस के द्वारा यूक्रेन पर मिलिट्री हमला के दरम्यान यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सकुशल नि: शुल्क भारत लाने का प्रबंध करो आदि मांगो को लेकर आज भाकपा माले ने आज रेलवे स्टेशन से शांति मार्च निकाल कर जिला समाहरणालय गेट पहुचा जहां माले नेताओं ने सभा किया। 


मार्च का नेतृत्व भाकपा माले के वरिष्ठ नेता सह किसान महासभा जिला अध्यक्ष सुनील राव, इनौस  जिला अध्यक्ष फरहान राजा, निर्माण मजदूर संघ के जिला अध्यक्ष जवाहर प्रसाद ने किया। 


इस अवसर पर  भाकपा माले के वरिष्ठ नेता सह किसान महासभा जिला अध्यक्ष सुनील राव ने कहा कि यूक्रेन की सीमाओं पर रूस द्वारा किया जा रहा सैन्य आक्रामकता का प्रदर्शन भारी चिन्ता का विषय है। वर्तमान संकट का हल यूक्रेनी जनता के आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण तरीके से परस्पर बातचीत के द्वारा किया जाना चाहिए।

इस टकराव के समाधान की दिशा में रूस को यूक्रेन की सीमाओं से अपनी सेनायें तत्काल वापस बुला लेनी चाहिए और रूस एवं अमेरिका व नाटो को यूक्रेन में कोई भी हस्तक्षेप तत्काल बंद कर तनाव को कम करने लिये मिन्स्क—2 समझौते के आधार पर कूटनीतिक समाधान निकालना चाहिए।


इनौस जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि भारत सरकार सबसे पहले रुस के द्वारा यूक्रेन पर मिलिट्री हमला के दरम्यान यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सकुशल नि: शुल्क भारत लाने का प्रबंध करें, मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि समय रहते भारतीय छात्रों को यूक्रेन से निकालने में बिफल रहीं हैं, अभी भी विदेश विभाग का जो एडवाइजरी है कि छात्र किसी तरह से पोलैंड के बार्डर पर चले जाए वहां से लाने की व्यवस्था करेंगे यह सोचने वाली बात है कि जहां पर छात्र मुश्किलों में फसे हुए हैं वहां से बर्डर 900 से 1400 किलोमीटर दूरी है, सरकार अपनी नकामियो को ढकने काम कर रहीं हैं, हर हाल भारतीय छात्रों को भारत लाने की रणनीति बनाये वही आगे कहा कि हमारा संगठन अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा यूक्रेन को लेकर फैलाये जा रहे युद्धोन्माद की कड़ी भर्त्सना करता हैं. नाटो देशों को पूर्वी यूरोप में पैर पसारने के प्रयासों पर रोक लगानी चाहिए।अमेरिका व ब्रिटेन भले ही नाटो को एक सुरक्षात्मक गठबंधन बताते रहें, सच तो यह है कि अफगानिस्तान, यूगोस्लाविया और लीबिया में पिछले वर्षों में, या उसके पहले ईराक पर युद्ध थोपने में, उनकी कारगुजारियां निस्संदेह साम्राज्यवादी हितों को साधने वाली रही हैं।

हम रूस व यूरोप में चल रहे युद्ध विरोधी आन्दोलनों के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए वहां चल रहे नये हथियार नियंत्रण समझौतों और उस महाद्वीप में आणविक निशस्त्रीकरण की सभी कोशिशों का समर्थन करते हैं। इस मौके पर माले नेता रमेश यादव, मुजम्मिल मियां, हारून गद्दी, विनोद कुशवाहा, मनबोध साह, केदार राम, ठाकुर साह, गुफरान खान, सुरेश यादव आदि नेताओं ने भी सभा को संबोधित किया


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