पश्चिम चंपारण, 20 मार्च। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में विश्व गौरैया दिवस पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर ब्रांड एम्बेसडर स्वच्छ भारत मिशन सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञानज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने संयुक्त रूप से कहा कि आज हमें 12वीं विश्व गौरैया दिवस मनाने का अवसर प्राप्त हो रहा है, ताकि विलुप्त हो रहे गौरैया को संरक्षण प्रदान किया जा सके।
आज विश्व गौरैया दिवस है। यह हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। गौरैया के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए साल 2010 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई थी. पिछले कुछ समय से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है।
विश्व गौरैया दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। विश्व के कई देशों में गौरैया पाई जाती है। यह दिवस लोगों में गौरेया के प्रति जागरुकता बढ़ाने और उसके संरक्षण के लिए मनाया जाता है। बढ़ते प्रदूषण सहित कई कारणों से गौरैया की संख्या में काफी कमी आई है और इनके अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण से गौरैया जैसे पक्षियों के विलुप्त होने से बचाया जा सकता है इस दिशा में सत्याग्रह इस फाउंडेशन सरकार एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर सकारात्मक कार्य कर रही है।
विश्व गौरैया दिवस, नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया के साथ-साथ फ्रांस की इकोसेज एक्शन फाउंडेशन की शुरू की गई एक पहल है। सोसाइटी की शुरुआत फेमस पर्यावरणविद् मोहम्मद दिलावर ने की थी। उन्हें 2008 में टाइम मैगजीन ने “हीरोज ऑफ एनवायरमेंट” में शामिल किया गया था। साल 2010 में पहली बार 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया गया। इसके बाद हर साल 20 मार्च को यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस पर गौरैया के संरक्षण के लिए काम करने वाले लोगों को गौरैया पुरस्कार से सम्मानित भी किया जाता है।विभिन्न सर्वेक्षणों में गोरिया जैसे पक्षियों की
संख्या कमी सामने आई है।
गौरैया की संख्या लगातार कम होती जा रही है। एस स्टडी के अनुसार इसकी संख्या में 60 फीसदी तक कमी आई है। विश्व गौरैया दिवस मनाने का एक उद्देशय यह भी है कि हमारे युवा और प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों को गौरैया से प्रेम करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित जाता है। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, बिहार विश्वविद्यालय की इतिहास विभाग के शोधार्थी डॉ0 शाहनवाज अली एवं अमित कुमार लोहिया ने संयुक्त रूप से कहा कि विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने के लिए समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व के अनेक सरकारों को मिलकर संयुक्त रूप से औरैया के संरक्षण के प्रति विश्व व्यापी अभियान तेजी लाने की आवश्यकता है, ताकि गोरिया जैसे विलुप्त हो रहे पक्षियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके। यह तभी संभव होगा जब हम सब राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामंजस्य स्थापित कर स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो। साथ ही इस दिशा में सकारात्मक रूप से हम सब मिल कर कार्य करें।
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