बेतिया, 21 मार्च। नफीसा बिन्ते सफीक, राज्य प्रमुख, यूनिसेफ़। सैम्पल रेजिस्ट्रेशन सर्वे (SRS-2019) के अनुसार, बिहार में शिशु मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 29 है जो कि 2018 से तीन अंक कम है और राष्ट्रीय औसत प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 30 मृत्यु से एक अंक बेहतर है। इसी तरह, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS -5) के अनुसार, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 56.4 है। शिशु मृत्यु दर में सुधार बिहार में बेहतर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं का संकेत तो देती ही है साथ ही यह अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं जैसे सुरक्षित पानी, स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई की बेहतर उपलब्धता को भी दर्शाती है। WHO के अनुसार, डायरिया की बीमारी पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण है। जब की, इसका रोकथाम और उपचार दोनों किया जा सकता है। पर्याप्त और समतापूर्ण तरीक़े से सुरक्षित पानी की उपलब्धता और स्वच्छता सेवाओं के प्रावधान से बीमारी के बोझ को काफी हद तक कम किया जा सकता है और कुछ मामलों में रोकथाम योग्य बीमारियों के प्रसार को भी पूरी तरह से रोका जा सकता है।
बिहार में नल जल की व्यवस्था :
जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार , बिहार सरकार ने 1.72 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 1.56 करोड़ परिवारों में नल का पानी उपलब्ध करा दिया है । राज्य ने 5 वर्ष पहले जब नल का पानी उपलब्ध कराना शुरू किया था उस समय राज्य में 3% से भी कम परिवारों में इसकी उपलब्धता थी, इस कम कवरेज को देखते हुए पिछले 5 वर्षों में यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है । बिहार ने पिछले कुछ वर्षों में भारत के सभी राज्यों में सबसे अधिक नल कनेक्शन प्रदान किए हैं।
यह महत्वपूर्ण उपलब्धि मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति और प्रशासनिक सामंजस्य के कारण संभव हुआ जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार की योजना “मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना” को सफलता पूर्वक लागू किया गया । “मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना” मुख्यमंत्री के सुशासन के एजेंडे के रूप में सात निश्चय में से एक निश्चय के रूप में शुरू किया गया था। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग और पंचायती राज विभाग के बीच जल प्रावधान कराने की जिम्मेदारी को विभाजित करने के लिए कार्यक्रम के कार्यान्वयन में संरचनात्मक बदलाव किए गए। पंचायती राज अधिनियम को, वार्ड कार्यान्वयन और प्रबंधन समिति (WIMC) बनाने के लिए संशोधित किया गया जिसने वित्तीय विकेंद्रीकरण सुनिश्चित किया और वार्डों को सुरक्षित पानी के प्रावधान की दिशा में निर्णय लेने का अधिकार दिया। यूनिसेफ WIMC सदस्यों के क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में सरकार का समर्थन कर रहा है।
राज्य सरकार ने उपलब्ध भूजल का दोहन करके प्रति व्यक्ति प्रति दिन 70 लीटर के बेंचमार्क का भी वादा किया है।
समय की मांग : जल संबंधी नीति निर्माण में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को शामिल करने की आवश्यकता है
सुरक्षित जल योजनाओं की सफलता में जल के स्रोत का लगातार उपलब्ध होना एक महत्वपूर्ण निर्धारक है। यह स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन ने जल चक्र को प्रभावित किया है और वर्षा की आवृत्ति और पैटर्न को बदल दिया है जो भूजल और सतही जल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। फसल पैटर्न, विभिन्न सिंचाई की विधियाँ, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, पारंपरिक जल संचयन और पुनर्भरण संरचनाओं के पुनरुद्धार के माध्यम से भूजल पुनर्भरण तथा भुजल के कुशल एवं विवेकपूर्ण उपयोग कर स्रोत की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, बिहार राज्य सरकार ने जल-जीवन-हरियाली मिशन शुरू किया है।
जल साक्षरता में युवावों और महिलाओ की भागीदारी को करे सुनिष्चित
इस वर्ष विश्व जल दिवस की थीम "भूजल : अदृश्य को दृश्यमान बनाना" है। भूजल को दृश्यमान बनाने के लिए सामुदायिक संरचनाओं के साथ काम करने की ज़रूरत है और जिसके लिए विकेन्द्रीकृत प्रयास की आवश्यकता है। भूजल जो राज्य में घरेलू और कृषि उपयोग के लिए उपलब्ध जल का मुख्य स्रोत है, इसे दृश्यमान बनाने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। भूजल को अक्सर अज्ञानतावश कभी न ख़त्म होने वाले संसाधन के रूप में समझा जाता है। जागरूकता की इस कमी को दूर करने के लिए जल साक्षरता की आवश्यकता है। समुदाय के किशोरों और युवा समूहों को भूजल उपलब्धता, इसके विवेकपूर्ण उपयोग और जलवायु केंद्रित जल बजट के संचालन में समुदाय के सदस्यों को शिक्षित करने, प्रेरित करने और शामिल करने में सक्षम बनाया जा सकता है। इंटरनेट और सोशल मीडिया को इस्तेमाल करने की कौशल आज काफी युवाओं मे है। हमारे युवा मित्र इसी कौशल का उपयोग करके समुदाय के सदस्यों को जल संरक्षण और उसके इष्टतम उपयोग की साक्षरता प्रदान कर सकते ह। जल चौपाल जिसका उपयोग सरकार द्वारा जल संरक्षण पर बातचीत करने के लिए किया जा रहा है, भी एक ऐसा मंच है जिसमें युवाओं और युवतियों को शामिल करने की ज़रुरत है।
पिछले एक दशक से, राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण के विभिन्न कार्यक्रमों को सफलता के साथ लागू कर रही है, इन पहलों से महिलाओं को जल प्रावधान में लोकतांत्रिक संवाद करने के लिए आगे आने का मौका मिल रहा है। सरकार ने राज्य के 114691 ग्रामीण वार्डों में वार्ड स्तरीय पाइप जल योजनाओं के प्रबंधन के लिए गठित वार्ड स्तरीय समितियों में कम से कम तीन महिला सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान किया है। आज तीन लाख से अधिक महिलाएं इन समितियों का हिस्सा हैं। इसके अलावा, 25,000 से अधिक महिलाएं पंप ऑपरेटरों के रूप में भी काम कर रही हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां WIMC द्वारा पेयजल योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। ये महिलाएं राज्य में पीने के पानी की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित कर रही हैं। इनको सशक्त करने की ज़रूरत है। सभी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए, ख़ास तौर से हर बच्ची-बच्चे की स्वस्थ जीवन, भरण-पोषण और उन्नति के लिए, स्वच्छ जल संरक्षण, उपलब्धता और उचित उपयोग को प्राथमिकता देनी होगी।
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