छात्र-छात्राओं ने लिया स्वच्छता जलवायु परिवर्तन की रोकथाम , सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का संकल्प।

 

             


     

बेतिया, 5 मार्च ।      सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया इस अवसर पर गांधीवादी चिंतक सहा सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रूप से छात्र छात्राओं को स्वच्छता जलवायु परिवर्तन की रोकथाम और विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का संकल्प दिलाते हुए कहा कि स्वच्छता में ईश्वर का वास होता है। इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड अमित कुमार लोहिया एवं विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि 11मांगो को लेकर महात्मा गांधी ने 5 मार्च सन् 1931 को लंदन द्वितीय गोल मेज सम्मेलन के पूर्व महात्मा गांधी और तत्कालीन वाइसराय लार्ड इरविन के बीच एक  समझौता किया। जिसे गांधी-इरविन समझौता  कहते हैं।

ब्रिटिश सरकार प्रथम गोलमेज सम्मेलन से समझ गई कि बिना महात्मा गांधी के सहयोग के कोई फैसला संभव नहीं है। वायसराय लार्ड इरविन एवं महात्मा गांधी के बीच 5 मार्च 1931 को गाँधी-इरविन समझौता सम्पन्न हुआ। इस समझौते में लार्ड इरविन ने स्वीकार किया कि -

हिंसा के आरोपियों को छोड़कर बाकी सभी राजनीतिक बन्दियों को रिहा कर दिया जाएगा।भारतीयों को समुद्र किनारे नमक बनाने का अधिकार दिया जाएगा।भारतीय शराब एवं विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने धरना दे सकते हैं।आन्दोलन के दौरान त्यागपत्र देने वालों को उनके पदों पर पुनः बहाल किया जायेगा।आन्दोलन के दौरान जब्त सम्पत्ति वापस की जाएगी।

 गांधीजी ने निम्न शर्तें स्वीकार की -

सविनय अवज्ञा आन्दोलन स्थगित कर दिया जाएगा।कांग्रेस द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेगी।कांग्रेस ब्रिटिश सामान का बहिष्कार नहीं करेगी।गाँधीजी पुलिस की ज्यादतियों की जाँच की माँग छोड़ देंगे।

यह समझौता इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि पहली बार ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के साथ समानता के स्तर पर समझौता किया।

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