बेतिया मे उत्तर बिहार के विकास की रणनीति पर परिचर्चा का आयोजन।

 



बेतिया, 25 मई।  बिहार राज्य के बेतिया स्थित  रिद्धि सीधी होटल के सभागार में आज  बिहार विमर्श द्वारा आयोजित उपेक्षित एवं पिछड़े उत्तर बिहार के विकास की रणनीति पर परिचर्चा पर संगोष्ठी आयोजन कर उत्तर बिहार के पिछड़ेपन और गरीबी के कारण पर प्रकाश डाला गया। संयोजक डॉक्टर शंभू शरण श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार तो पिछड़ा है ही उत्तर बिहार और भी गर्त्त में गिरता जा रहा है। खेती बाढ़ सुखाड़ और सरकारी उदासीनता के चलते और अलाभकारी साबित हो रहा है। बाढ़ की विभीषिका मुख्यत: बांधों के चलते हैं फिर पलायन होता है यह 3 करोड़ का पलायन बिहार की आर्थिक स्थिति का आईना है। दो तिहाई आबादी उत्तर बिहार में है लेकिन दो तिहाई बजट दक्षिण बिहार पर खर्च होता है। प्रोफेसर अनिल मिश्रा ने कहा कि बिहार पिछड़ापन का टापू  हिंदुस्तान में बन गया है बिहार विमर्श अपने मांग पत्र को सांसद विधायकों को दे एवं 1 साल में रिपोर्ट कार्ड मांगे। नागरिक समाज की अनिल सिन्हा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कोई भी बात राष्ट्रीय हो जाती है श्री सिंह ने पूर्व सिंचाई मंत्री के समय बिहार के विकास पर बनी कमेटी को लागू करने की मांग की। कई वक्ताओं ने खेती उद्योग और शिक्षा स्वास्थ्य सेवा की बदहाली का सवाल उठाया। लोगों को ध्यान देकर स्कूल अस्पताल के संचालन को ठीक कराना होगा। बिहार की दो तिहाई आबादी उत्तर प्रदेश में है फिर दक्षिण बिहार से कम बजट  क्यों ?  राजीव रंजन ने कहा कि बिहार की सरकार भी मीडिया को प्रतिबंधित कर सही समाचार नहीं आने देती आर0जी0एफ0 के राजीव रंजन ने आंकड़ों के द्वारा बताया कि कुपोषित बच्चे और स्त्रियां उत्तर बिहार में सबसे अधिक है। वक्ताओं ने बंद चीनी मिलों को खोलने हेतु आंदोलन चलाने की मांग। प्रो0 आर0 के0 चौधरी ने शिक्षा खास कर उच्च शिक्षा की व्यवस्था की बात कही। संगोष्ठी में जिले के हर क्षेत्र के लोग शामिल थे। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से राजनीतिक सामाजिक सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। प्रो0  अवधेश कुमार ने कहा कि आर्थिक पिछड़ेपन ने समाजिक संस्कृति विकृतियाँ पैदा की है। वक्ताओं में प्रेम  कुमार मणि पूर्व विधान पार्षद सह-संयोजक, विजय प्रताप  सह- संयोजक, शाहिद कमाल सह- संयोजक, विजय प्रताप सह- संयोजक, विधायक विरेंद्र प्रसाद गुप्ता, इरशाद अहमद, मोहम्मद कमरान, प्रभु नारायण राव, शिवजी प्रसाद, ओमप्रकाश क्रांति, सुरैया साहब, तबस्सुम, अशोक प्रियदर्शी, पंकज चौधरी, योगेंद्र सिंह, जगदेव प्रसाद, अमरेन्द्र श्रीवास्तव, मो0 आलमगीर हुसैन सहित कई बुद्धिजीवी बिहार विमर्श परिचर्चा में शामिल रहे।

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