(शहाबुद्दीन अहमद)
बेतिया,09 जून। मानवधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता,सुरैया सहाब ने कहा है कि बने हुए राशन कार्ड का सरकार के द्वारा रद्द करने या सरेंडर करने का कोई औचित्य नहीं लगता है, सरकार का कहना है कि मानक के अनुरूप गलत ढंग से राशन कार्ड बनाया गया है, सरकार ने जो मानक तय किया था, उसके अनुरूप राशन कार्ड नहीं बना है, सरकार का यह कहना जायज लगता है, साथ ही साथ सरकार में बैठे कुछ पदाधिकारियों, कर्मियों व जनप्रतिनिधि की संलिप्तता भी उजागर हो रही है, इसमें सारी गलती केवल सरकार का ही नहीं, बल्कि जिन लोगों के माध्यम से राशन कार्ड बनाया गया है, उन लोगों को क्या सरकार के द्वारा घोषित मानक की जानकारी नहीं थी, अगर थी तो फिर क्यों इस तरह गलत ढंग से राशन कार्ड बनाया गया, और सरकार ने इस पर क्यों नहीं जांच पड़ताल की, जिनके भी स्तर से यह सभी राशन कार्ड बनाए गए हैं,जो अभी रद्द या सरेंडर किया जा रहा है, उन लोगों को सजा मिलनी चाहिए, जिनके माध्यम से यह बनवाया या बनाया गया है, इस तरह देखा जाए तो इस राशन कार्ड के बनाने में सरकार का अरबों रुपया खर्च हुआ है, जिससे सरकारी राजस्व की हानि हुई है, उसका जिम्मेदार कौन होगा, सरकार या जनप्रतिनिधि ?
गरीब,बेसहारा,वृद्ध,विकलांग
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले, कुष्ठ रोगी, परित्यक्तता ,कैंसर पीड़ित, भिखारी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर निर्भर रहने वाले, महिला व पुरुष का राशन कार्ड क्यों नहीं बना। इस संदर्भ में सरकार को अपने एजेंसी के माध्यम से बने हुए राशन कार्ड की जांच करानी चाहिए और इसमें दोषी जनप्रतिनिधियों, सरकारी कर्मियों व पदाधिकारियों को विभागीय नियम के अनुकूलआर्थिक दंड देनी चाहिए, साथ ही सरकार की जो राजस्व की हानि हुई है, उसकी प्रतिपूर्ति इन जनप्रतिनिधियों, सरकारी कर्मियों और सरकारी पदाधिकारियों के वेतन से की जानी चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों ने अपना राशन कार्ड बनवाया है, उसमें जो भी राशि खर्च हुई है, इस राशि का भुगतान सरकार को करना होगा। सरकार के द्वारा इस बात की घोषणा करने पर जो लोग राशन कार्ड के लिए पात्र नहीं हैं, और राशन कार्ड बनवा लिए हैं, वह अपने अपने राशन कार्ड को सरेंडर कर दे, नहीं करने पर वह राशन कार्ड रद्द माना जाएगा। पंचायती राज के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीते हुए सभी जनप्रतिनिधि ने अपनी वोट की राजनीति को बनाए रखने के लिए गलत ढंग से सभी का राशन कार्ड बनवा दिया है, इस राशन कार्ड को बनवाने में जनप्रतिनिधि, कार्यालय कर्मी व पदाधिकारी मालामाल हो गए हैं।
इस संदर्भ में मैं सुरैया सहाब, मानवअधिकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता जनहित में सरकार से मांग करती हूं कि अभिलंब ही इस बने हुए राशन कार्ड को सरेंडर करने या रद्द करने की घोषणा को वापस ली जाए ताकि गरीबों का कल्याण हो सके, और इस राशन कार्ड के माध्यम से मिलने वाली अनाज से अपना पालन पोषण, खाने पीने की समस्या को दूर कर सकें।
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