पटना, 09 अक्टूबर। र्पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो वलहे वसल्लम के जन्म दिवस के अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया ।जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों , बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया । इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली डॉ अमित कुमार लोहिया, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी ,पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, डॉ महबूब उर रहमान एवं अल बयान के सम्पादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से कहा कि
अरबी कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अव्वल महीने के बारहवें दिन को पुरी दुनिया मे मनाया जाता है।
रबी अल-अव्वल 12, 1444 पैगंबर मुहम्मद (PBUH) के जन्मदिन के अवसर पर दुनिया भर में अनेक कार्यक्रमो का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर विश्व शांति मानवता अहिंसा एवं सामाजिक सद्भावना नफरत हिंसा एवं युद्ध की समाप्ति के लिए सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया जा रहा है। ताकि मानवता को हिंसा एवं युद्ध से बचाया जा सके। पैगंबर हजरत मुहम्मद को ईश्वर ने पूरी मानवता के लिए वरदान बना कर भेजा है। पैगंबर हजरत मोहम्मद का मानना है कि विश्व के सारे लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं। हमें सब से प्रेम करना है ।हम सब विश्व के पहले मानव हजरत आदम के वंशज हैं। नफरत, बदले की भावना, हिंसा एवं युद्ध का सभ्य मानव समाज मे कोई जगह नही है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि इसे 'मिलाद उन नबी' के नाम से भी जाना जाता है।
शिया समुदाय महीने की 17 तारीख को पैगम्बर हजरत मुहम्मद का जन्म दिवस मनाते हैं, जबकि सुन्नी इसे महीने की 12 तारीख को मनाते हैं।विश्व के अनेक देशों में 12 से 17 तारीख एकता दिवस के रुप में मनाया जाता है। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत समेत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पैगंबर हजरत मुहम्मद के जन्मदिवस पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित होता है।समस्त मानव जाति के शांति समृद्धि एवं खुशहाली के लिए प्रार्थना की जाती है। गरीबो में दान दिए जाते हैं एवं उन्हें उत्तम भोजन कराया जाता है। अनेक जगहों पर गरीबों के लिए वस्त्र बांटे जाते हैं।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि पैगंबर हजरत मुहम्मद (PBUH) का जन्म मक्का में 12 रबी अव्वल को वर्ष 570 इसवी में अरब के शहर मक्का मे हुआ था। विभिन्न इस्लामिक विद्वानों का मानना है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म 9 रबी अव्वल दिन सोमवार को हुआ था। पैगंबर का पूरा नाम अबी अल-कासिम मुहम्मद इब्न अब्द अल्लाह इब्न अब्द अल-मुसालिब इब्न हाशिम है।
हजरत मुहम्मद ईश्वर के नबी हजरत इश्माएल के वंशज थे। यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम के अनुसार, इसहाक और इश्माएल इब्राहीम के दो पुत्र थे। माना जाता है कि यहूदी इसहाक के वंशज थे, माना जाता है कि अरब हजरत इब्राहिम के वंशज हैं।
पैगंबर हजरत मोहम्मद बचपन में ही अनाथ हो गए थे और उनका पालन-पोषण चाचा हजरत अबू तालिब और उनके दादा हजरत अब्दुल-मुत्तलिब ने किया था। उन्होंने अपने चाचा से व्यापार के बारे में सीखा और एक भरोसेमंद व्यापारी के रूप में ख्याति अर्जित की।
हजरत मुहम्मद 40 वर्ष के उम्र में उन्हें देवदूत गेब्रियल द्वारा ईश्वर का संदेश मिला था, हजरत मुहम्मद ने ईश्वर का संदेश पुरी दुनिया को दिया था, हजरत मोहम्मद ने कहा कि ईश्वर एक है जो निराकार है। ईश्वर ही सृष्टि का रचयिता है। जीवन और मृत्यु उसी के हाथ में है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हमें ऐतिहासिक अध्ययनों से पता चलता है कि 8 वीं शताब्दी मे मक्का में पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्म स्थल , जिस घर में पैगंबर मुहम्मद (PBUH) का जन्म हुआ था, उसे हजरत अल-खयज़ुरान द्वारा प्रार्थना के स्थल में बदल दिया गया था। हजरत अल-खयज़ुरन विश्व विख्यात ख़लीफ़ा हारून-अल-रशीद की माँ थी।वर्तमान सऊदी अरब सरकार द्वारा इसे नया प्रारूप दिया गया है।
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