सामाजिक एकता एवं सद्भावना की भाषा है उर्दू, विश्व उर्दू दिवस पर दिया आपसी प्रेम एवं सामाजिक सद्भावना का संदेश।

 




  पटना, 09 नंबर।  विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस अवसर पर सर्वप्रथम उर्दू भाषा के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले विभूतियों विशेष रुप से मिर्जा गालिब ,सर अल्लामा इकबाल, मुंशी प्रेमचंद ,महात्मा गांधी, मौलाना अबुल कलाम आजाद समेत उन सभी विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई जिन्होंने उर्दू भाषा के प्रचार प्रसार एवं विकास में अहम भूमिका निभाई। अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली,डॉअमित कुमार लोहिया, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी, पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, डॉ महबूब उर रहमान एवं अल बयान के सम्पादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से कहा कि उर्दू  इंडो-आर्यन भाषा है. यह भाषा दक्षिण एशिया में व्यापक रूप से बोली जाती है. भारत के बिहार राज्य की द्वितीय आधिकारिक राज भाषा उर्दू है । भारत में उर्दू भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान प्राप्त है। नेपाल समेत दक्षिण एशिया में, उर्दू एक पंजीकृत क्षेत्रीय बोली जाने वाली भाषा है। उर्दू भाषा के प्रचार प्रसार एवं विकास के लिए दुनिया भर में विश्व उर्दू दिवस हर साल 9 नवंबर को मनाया जाता है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि 

विश्व उर्दू दिवस सर मुहम्मद इकबाल की जयंती के अवसर पर हर साल 9 नवंबर को मनाया जाता है, उर्दू भाषा के महान शायर एवं लेखक सर मोहम्मद इकबाल का जन्म  9 नवंबर 1877 को हुआ था. वह एक दक्षिण एशियाई  लेखक, दार्शनिक एवं राजनीतिज्ञ थे. उर्दू भाषा में उनकी कविता 20वीं सदी की महानतम कविताओं में से एक थी।इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि

 लगभग 12वीं शताब्दी में दिल्ली के आसपास उत्तर भारत में उर्दू का विकास शुरू हुआ।  यह दिल्ली के आसपास के क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा पर आधारित थी। यह अरबी एवं फारसी के साथ-साथ तुर्की से भी काफी प्रभावित थी।

उर्दू अपनी उत्पत्ति हिंदी के साथ साझा करती है, जिसे कभी-कभी समान व्याकरण आधार के कारण उर्दू की 'बहन' भाषा के रूप में संदर्भित किया जाता है।  हालाँकि, हिंदी को 'देवनागरी' में लिखा जाता है, जो संस्कृत की ही लिपि है, और इसकी शब्दावली में फ़ारसी एवं अरबी प्रभाव की तुलना में संस्कृत प्रभाव अधिक है। जानकारो का मानना है कि 14वीं एवं 15वीं शताब्दी के दौरान उर्दू में बहुत सारी कविताएँ और साहित्य लिखे जाने लगे।   उर्दू भाषा के प्रचार प्रसार एवं विकास में मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमानों  के साथ साथ हिंदू और सिख लेखकों ने अतुल्य योगदान दिया है।उर्दू दुनिया भर के कई देशों में बोली जाती है, जिनमें ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, मध्य पूर्व और भारत शामिल हैं।

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