देश के महान सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज मोइनुद्दीन चिश्ती की 810 वीं उर्स मुबारक पर आपसी प्रेम का संदेश।

 




पटना, 29 जनवरी।  भारत के महान सूफी संत ख्वाजा गरीब नवाज मोइनुद्दीन चिश्ती की 810 वी उर्स ए मुबारक के अवसर पर विश्व शांति, मानवता ,पर्यावरण संरक्षण एवं आपसी प्रेम का संदेश देते हुए अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ,डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल, सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी एवं पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन ने भारत के महान सूफी संत खाजा मोहिद्दीन चिश्ती को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने भारत की पवित्र धरती पर विश्व शांति, मानवता ,पर्यावरण संरक्षण एवं आपसी प्रेम का संदेश दिया था । उनका मानना था कि संसार के सभी मानव एक ही परिवार के सदस्य है।
हजरत ख्वाजा मोइन-उद-दीन चिश्ती अजमेरी (आरए) तेरहवीं शताब्दी के महान संत  थे। उन्हें ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता था। वह सिलसिला-ए-चिश्तिया (चिश्ती आदेश) के सबसे प्रसिद्ध व्यक्तित्वों में से एक हैं। हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ का जन्म सिस्तान, ईरान में हुआ था। उनकी मृत्यु अजमेर शरीफ में हुई थी। इस्लाम और मानवता के लिए उनकी महान सेवाओं को याद करने के लिए हर साल 6 रज्जब पर उनका उर्स मनाया जाता है। उर्स उत्सव 6 रज्जब से पहले शुरू होता है और इस तारीख के बाद भी जारी रह सकता है, लेकिन रजब की 6 तारीख मुख्य उर्स कार्यक्रम की तारीख है क्योंकि यह ख्वाजा ग़रीब नवाज़ की पुण्यतिथि है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि भारत के महान सूफी संत ख्वाजा मुद्दीन चिश्ती को सुल्ताने हिंद के नाम से भी जाना जाता है।ख्वाजा मुद्दीन चिश्ती ने समाज में व्याप्त अनेक अंधविश्वासों एवं सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए जन जागरण का आह्वान किया था ताकि समाज में नई जागृति आ सके।

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