Shab -e- Barat:- पवित्र शब-ए-बारात पर विशेष लेख सहित प्रार्थना सभा

 



पटना, 7 मार्च। बिहार के बेतिया स्थित आज सत्याग्रह भवन में पवित्र  शब ए  बरात के अवसर पर विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया जिसमें अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर  सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड डॉ शाहनवाज अली डॉ अमित कुमार लोहिया सामाजिक कार्यकर्ता नविंदु चतुर्वेदी अल्बान के संपादक डॉक्टर सलाम एवं डॉक्टर मोहम्मद महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से कहा कि पवित्र शब ए बरात दक्षिण एशियाई, मध्य एशियाई, दक्षिण पूर्व एशियाई और मध्य पूर्वी मुस्लिमों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव है। इस्लामिक कैलेंडर के आठवें महीने शाबान महीने की 15वीं रात (सिर्फ 15 तारीख की रात)।शब-ए-बारात  मनाया जाता है, 

शब-ए-बारात,दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहाँ शब का अर्थ रात होता है वहीं बारात का मतलब बरी होना होता है। शब-ए-बारात को दक्षिण पूर्व एशिया में एक प्रमुख घटना माना जाता है, सामूहिक रूप से प्रार्थना करते हैं और अपने गलत कामों की क्षमा मांगते हैं।ऐसा माना जाता है कि यह उन्हें पूरे वर्ष के लिए सौभाग्य प्रदान करता है एवं उन्हें उनके पापों से मुक्त करता है। अनेक विद्वानों का मानना है कि यह एक ऐसी रात भी है जब अपने मृत पूर्वजों को क्षमा करने के लिए प्रार्थना की जाती है।  एक हदीस परंपरा के अनुसार यह ज्ञात है कि हजरत मुहम्मद स0 वा0वसल्लम इस रात बकी के कब्रिस्तान में गए थे और उन्होंने वहां दफन किए गए मुसलमानों के लिए प्रार्थना की थी। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत (महिमा) की रात मानी जाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।

यह अरब में लैलतुल बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। यह शब-ए-बारात के नाम से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, अफ़ग़ानिस्तान , नेपाल एवं दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में विशेष रूप से मनाया जाता है । ऐसी मान्यता है कि  इस रात विश्व के सारे मनुष्यों की 1 वर्ष की  हिसाब किताब फरिश्तों के सुपुर्द किया जाता है। जिस पर फरिश्ते 1 वर्ष में इसे गाइडलाइन के अनुसार पूरा करते हैं। इब्नबतूता ने भी अरबी महीने शाबान के 12 से 15 तारीख पर विशेष प्रार्थनाओं का उल्लेख किया है।

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