भारत रत्न डॉक्टर बीआर अंबेडकर की 132 वे जन्म जयंती का समारोह सम्पन्न - मिसाइल इंजीनियर

 



बेतिया, 14 अप्रैल। विश्व विभूति विश्व मानव युग प्रवर्तक बाबा साहब भारत रत्न डॉक्टर बीआर अंबेडकर की 132 में जन्म जयंती का समारोह पश्चिमी चंपारण जिला मुख्यालय समाहरणालय के मुख्य द्वार पर माननीय जिलाधिकारी द्वारा बाबा साहब की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प माला चढ़ाकर प्रारंभ की गई जिलेभर से आए हुए प्रतिनिधियों के द्वारा जिसमें प्रबुद्ध भारती पंचशील बौद्ध विहार भारतीय बौद्ध महासभा भीम बुद्ध नीति तथा तमाम राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के पुष्पांजलि एवं भावांजलि से कार्यक्रम सारोबार रहा।

   प्रबुद्ध भारती के राष्ट्रीय संयोजक मिसाइल इंजीनियर विजय कश्यप ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का हवाला देते हुए यह जानकारी दी कि विश्व की 10 युग परिवर्तन में प्रथम चार भारत के हैं और उसमें चौथे हैं इस युग के युग प्रवर्तक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बाबा साहब ने संविधान के निर्माण में ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन की भूमिका निभाई तथा संपूर्ण देश एवं मानवता के लिए एक संविधान देने में अपना योगदान दिया जवानी के संघर्षों को देखा जाए तो बाबासाहेब ने विपरीत परिस्थितियों एवं अभावग्रस्त परिवार में जन्म लेकर भी 32 डिग्री यों को हासिल किया एवं अपनी थीसिस के द्वारा प्रॉब्लम ऑफ रुपीस एंड सलूशन के माध्यम से इंग्लैंड के यंग हिल्टन कमीशन से अपनी राय साझा करके रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 1 अप्रैल 1935 में जन्म दिया महिलाओं एवं पिछड़े समाज के लिए संविधान समिति में संघर्ष करते-करते उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने के लिए अपने कानून मंत्री पद से भी इस्तीफा दिया।

      एक अकेले व्यक्तित्व ने बिना चुनाव जीते उन्होंने वह सब कुछ दिया जो अब तक चुनाव जीतकर तमाम राष्ट्र नायकों ने नहीं दिया।

   बाबा साहब ने पूरी दुनिया को देश के लिए जीने की नसीहत दी, एवं देश के विविश्व विभूति विश्व मानव युग प्रवर्तक बाबा साहब भारत रत्न डॉक्टर बीआर अंबेडकर की 132 में जन्म जयंती का समारोह पश्चिमी चंपारण जिला मुख्यालय समाहरणालय के मुख्य द्वार पर माननीय जिलाधिकारी द्वारा बाबा साहब की आदमकद प्रतिमा पर पुष्प माला चढ़ाकर प्रारंभ की गई जिलेभर से आए हुए प्रतिनिधियों के द्वारा जिसमें प्रबुद्ध भारती पंचशील बौद्ध विहार भारतीय बौद्ध महासभा भीम बुद्ध नीति तथा तमाम राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के पुष्पांजलि एवं भावांजलि से कार्यक्रम सारोबार रहा।

   प्रबुद्ध भारती के राष्ट्रीय संयोजक मिसाइल इंजीनियर विजय कश्यप ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का हवाला देते हुए यह जानकारी दी कि विश्व की 10 युग परिवर्तन में प्रथम चार भारत के हैं और उसमें चौथे हैं इस युग के युग प्रवर्तक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बाबा साहब ने संविधान के निर्माण में ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन की भूमिका निभाई तथा संपूर्ण देश एवं मानवता के लिए एक संविधान देने में अपना योगदान दिया जवानी के संघर्षों को देखा जाए तो बाबासाहेब ने विपरीत परिस्थितियों एवं अभावग्रस्त परिवार में जन्म लेकर भी 32 डिग्री यों को हासिल किया एवं अपनी थीसिस के द्वारा प्रॉब्लम ऑफ रुपीस एंड सलूशन के माध्यम से इंग्लैंड के यंग हिल्टन कमीशन से अपनी राय साझा करके रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को 1 अप्रैल 1935 में जन्म दिया महिलाओं एवं पिछड़े समाज के लिए संविधान समिति में संघर्ष करते-करते उन्होंने अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने के लिए अपने कानून मंत्री पद से भी इस्तीफा दिया।

      एक अकेले व्यक्तित्व ने बिना चुनाव जीते उन्होंने वह सब कुछ दिया जो अब तक चुनाव जीतकर तमाम राष्ट्र नायकों ने नहीं दिया।

   बाबा साहब ने पूरी दुनिया को देश के लिए जीने की नसीहत दी, एवं देश के विकास में कोई भी चीज बाधक नहीं होगी इस बात का एक मार्ग प्रशस्त किया, संविधान समिति में 299 लोगों में पिछड़े और दलित समाज के प्रतिनिधि अत्यल्प थे, उसके बावजूद भी उन्होंने सारे समाज का हित ,आर्टिकल 15 ,340 41 42 में उन्होंने सबके अधिकार सुनिश्चित किए उन लोगों के उस समय के तमाम लोगों के विरोध के बावजूद उन्होंने महिलाओं को शिक्षा एवं मत का अधिकार दिया मात्र 65 वर्ष की अल्पायु उन्होंने जितने काम किए, उतनी आज तक के तमाम राजनेताओं ने मिलकर नहीं किया

       कांम के घंटे1२ ,से 8 करना साप्ताहिक अवकाश मातृत्व अवकाश ,तथा कामगारों की हक अधिकार के लिए यूनियन बनाने तथा अपनी लड़ाई लड़ने के लिए उनको कानूनी हक और अधिकार दिया 14 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क मुक्त शिक्षा तथा सबकी भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए संविधान की धारा 340 41,42 का प्रावधान किया

     बाबासाहेब ने 65 वर्ष की अल्पायु में, 25 वर्ष सोचने में लगाया ,कि, किस धर्म को अपनाया जाए और अंत में उन्होंने धर्म का परित्याग कर धम का शरण लिया एवं बुद्धीजम को 14 अक्टूबर 1956 को ग्रहण कर मात्र 6 माह तक बुध धम का प्रचार प्रसार करने के बाद 6 दिसंबर 1956 को अपने चंपारण की धरती में ही यशोधरा स्थान पर 

चीर निद्रा में लीन हो  गएकास में कोई भी चीज बाधक नहीं होगी इस बात का एक मार्ग प्रशस्त किया, संविधान समिति में 299 लोगों में पिछड़े और दलित समाज के प्रतिनिधि अत्यल्प थे, उसके बावजूद भी उन्होंने सारे समाज का हित ,आर्टिकल 15 ,340 41 42 में उन्होंने सबके अधिकार सुनिश्चित किए उन लोगों के उस समय के तमाम लोगों के विरोध के बावजूद उन्होंने महिलाओं को शिक्षा एवं मत  का अधिकार दिया मात्र 65 वर्ष की अल्पायु उन्होंने  जितने काम किए, उतनी आज तक के तमाम राजनेताओं ने मिलकर नहीं किया

       कांम के घंटे1२ ,से 8 करना साप्ताहिक अवकाश मातृत्व अवकाश ,तथा कामगारों की हक अधिकार के लिए यूनियन बनाने तथा अपनी लड़ाई लड़ने के लिए उनको कानूनी हक और अधिकार दिया 14 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क मुक्त शिक्षा तथा सबकी भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए संविधान की धारा 340 41,42 का प्रावधान किया

     बाबासाहेब ने 65 वर्ष की अल्पायु में, 25 वर्ष  सोचने में लगाया ,कि, किस धर्म को अपनाया जाए और अंत में उन्होंने धर्म का परित्याग कर  धम का शरण लिया एवं बुद्धीजम को 14 अक्टूबर 1956 को ग्रहण कर मात्र 6 माह तक बुध धम का प्रचार प्रसार करने के बाद 6 दिसंबर 1956 को अपने चंपारण की धरती में ही यशोधरा स्थान पर 

चीर निद्रा में लीन हो गए

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