लोकतंत्र को खत्म करने वाले और नीजिकरण को बढ़ावा देने वाले शिक्षकों के हितैषी नहीं हो सकतें- विधायक




महागठबंधन 2020 के घोषणा पत्र के अनुसार सबको सरकारी कर्मी का दर्जा और सातवें चरण के शिक्षक अभ्यर्थियों को इस परीक्षा से मुक्त रखने की मांग का माले विधायक ने किया समर्थन


बेतिया, 27 मई।  शिक्षक नियमावली 2023 के खिलाफ  शिक्षकों द्वारा जारी आंदोलन को समर्थन करते हुए माले विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि हम और हमारी पार्टी शिक्षक नियमावली 2023 के  उस विसंगतियों के खिलाफ जिसके खिलाफ शिक्षक है और शिक्षक समुदाय व अभ्यर्थियों के साथ हैं. आगे कहा कि ऐसे दौर में जब भाजपा की केंद्र सरकार ठेका पर बहाली की नीति को बढावा दे रही है और रोज़गार के अवसरों को लगातार सीमित कर रही है, वैसी स्थिति में बिहार सरकार द्वारा शिक्षकों को सरकारी कर्मी का दर्जा देने की घोषणा स्वागतयोग्य है लेकिन परीक्षा की कोई शर्त नहीं थोपी जानी चाहिए. महागठबंधन 2020 के घोषणा पत्र के अनुसार सबको सरकारी कर्मी का दर्जा दिया जाना चाहिए. साथ ही, सातवें चरण का भर्ती तत्काल करना चाहिए, उन्होंने ने कहा कि पुराने शिक्षक नियमावली के अनुकूल नियम बनाना चाहिए! उन्होंने कहा  कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को शिक्षकों से वार्ता के जरिए इस गतिरोध को खत्म करने की उम्मीद जताई! 

आगे कहा कि लोकतंत्र खत्म करने व निजीकरण को बढ़ावा देने, ठेका मानदेय पर बहालियां करने वाली भाजपा को कोई हक नहीं है शिक्षकों के सवालों पर बोलने की! 

आगे कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार का वादा किया था. भाजपा के नेता बताएं कि कितने युवाओं को आज तक उसने रोजगार दिया? भाजपा शासित प्रदेशों में ठेका-मानदेय पर बहालियां क्यों हो रही हैं? रेलवे का निजीकरण क्यों किया गया? सेना में अग्निपथ योजना क्यों लाई गई? सुशील मोदी युवाओं के साथ किए गए विश्वासघात पर माफी मांगना चाहिए, आगे कहा कि जहां जहां भाजपा की सरकार है वहां सरकारी कर्मचारियों को अपनीं मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन तक करने का अधिकार खत्म कर दिया है! पुरे देश में बोलने, धरना प्रदर्शन करने की लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला कर रहीं हैं। 


 

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