रोजगार की दृष्टि से स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए बिहार के सभी जिलों में औद्योगिक परिक्षेत्र की कल्पना के साथ-साथ इसकी स्थापना भी की गई है। लेकिन दुखद पहलू यह भी है कि जीन उद्देश्यों के साथ औद्योगिक क्षेत्र का निर्माण किया गया वह साकार नहीं हो सका। जरूर इस बात की है कि ऐसे विषयों के लिए आम जन जागृत हो, सरकार को अपना भी सुझाव दे। सरकार का भी दायित्व हैं, कि इस दिशा में ठोस कदम उठावे l वहीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे नरेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, पलायन अपने बिहार में एक बीमारी जैसी हो गई है। जिसकी समुचित इलाज की जरूरत है। जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर बिहार से हो रहे पलायन पर बार-बार अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं, उनकी यह आवाज पूरे बिहार की आवाज है। पलायन की रोक के लिए खुद बिहार के सरकार को दृढ़ संकल्पित होना होगा। जन सुराज संचार साथी के प्रभारी विकास बिहारी सिंह ने कहा कि यह समस्या तब तब तक बनी रहेगी जब तक कि राज में सरकार रोजगार के अवसर को बढ़ावा नहीं देगी। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए सरकार को विशेष रूप से एक प्लान तैयार करना पड़ेगा। जन सुराज के प्रणेता प्रशांत किशोर ने आमआवाम को यह बता दिया है कि बिहार का विकास जब तक धरातल पर नहीं होगा तब तक पलायन के संकट से बिहार मुक्त नहीं होगा। विशिष्ट अतिथि कौशल किशोर झा ने कहा कि बिहार की जनता को रोजगार के अपने हक के लिए अपने आप में जनचेता जागृत करनी होगी। जबकि वरिष्ठ पत्रकार अमानुल हक ने कहा कि पलायन वाद की समस्या सरकार नहीं बिहार में पैदा की है, और इसके लिए सरकार को विशेष कदम उठाने की जरूरत हैं ।बेतिया ब्लॉक की पूर्व प्रमुख उषा सिंह , पत्रकार कमलेश मनि त्रिपाठी ने कहा कि पलायन की समस्या का निदान बातों से नहीं की जा सकती इसके लिए विशेष योजना तैयार करनी होगी। बैठक में ई. धीरज कुमार तिवारी, ई. मनीष कुमार द्विवेदी, शिक्षाविद शत्रुघ्न मिश्रा, जगदीश राम, हीरालाल प्रसाद, सकलदेव प्रसाद, पत्रकार अभय कुमार मिश्र, छायाकार -पत्रकार पवन कुमार पाठक, अवध किशोर तिवारी, पत्रकार छायाकर सुजय प्रकाश पांडे, संतोष कुमार,, नवीन कुमार यादव, पर यह समाजसेवी दीपक कुमार सिंह शाहिद दर्जनो प्रबुद्ध जन की उपस्थि रहे l
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