बेतिया, 23 जनवरी । स्वतंत्रता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आइसा और इनौस ने
दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए तीनों कृषि कानून को रद्द करो, एमएसपी पर फसल खरीद की कानून कि गारंटी आदि नारा के साथ एमजेके काॅलेज से जिला समाहरणालय गेट तक मार्च किया
सबसे पहले एमजेके काॅलेज परिसर में आइसा और इनौस के नेताओं कार्यकर्ताओं ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस चित्र पर पुष्प अर्पित किया, देश को कॉरपोरेट हाथो में सौपना बन्द करो,किसान विरोधी कृषि कानून वापस लो।किसानों पर जुर्म करना बंद करो आदि नारा लगाते हुए जिला समाहरणालय गेट पर पहुँच कर सभा में तब्दील हो गया, सभा को संबोधित करते हुए इनौस जिला संयोजक फरहान रजा ने कहा कि केंद्र की कॉरपोरेट परस्त मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर किसान इस देश की 135 करोड़ आबादी को दाना मुहैया करा सकते हैं तो वे इस अनाज पर डाका डालने वाले का जीना मुहाल भी कर सकते हैं. सरकार के साथ ग्यारह दौर की वार्ता के बाद भी किसानों का अपनी मांगों पर अडिग रहना इस बात को साफ करता है कि अनाज पर डाका डालने वालों की अब खैर नहीं है चाहे वह अडानी-अम्बानी जैसे पूंजीपति हों या उनकी सरमायेदार मोदी सरकार. उन्होंने कहा कि केंद्र की जुमलेबाज सरकार जहां एक-एक कर तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को ध्वस्त कर रही है वहीं देश के किसान तमाम बाधाओं के बावजूद आज़ादी और जम्हूरियत बनाए रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं. हमें इस लड़ाई को एकसाथ मिलकर जीतना होगा.
आइसा नेता अभिमन्यु राव ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान अब तक 147 किसानों की मौत को शहादत बताते हुए जोरदार शब्दों में कहा कि हम संकल्प लेते हैं कि किसानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी और जब तक मोदी सरकार कृषि विरोधी ये तीन काले कानून रद्द नहीं करती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि ये कृषि कानून देश को गुलामी की ओर धकेलने के लिए हैं जिनके खिलाफ खड़ा होना हर भारतवासी का फर्ज बनता है.
आइसा नेता अंसार खा ने मोदी हुकूमत को खबरदार किया कि अगर वह अपने तानाशाही रवैये से बाज नहीं आई तो जनता उसे उखाड़ फेंकेगी., इनौस नेता संजय मुखिया ने कहा कि 'अच्छे दिन' और 'सुशासन' का वादा कर सत्ता में आई केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार के कामधाम जनविरोधी और विकास विरोधी साबित हो रहे हैं.आइसा नेता सोनू चौबेकहा कि पहले मोदी सरकार कह रही थी कि सिर्फ दो-तीन प्रदेशों के किसान ही विरोध में हैं। मगर आज यह आंदोलन पुरे देश में फैल चुका है, लाखों लाख किसान दिल्ली सीमा पर घेराव किया है वही लाखों किसान देश के विभिन्न क्षेत्रों में सड़कों पर प्रर्दशन कर रहे हैं,
आइसा नेता सोनू चौबे ने कहा कि आलोचना, आन्दोलन और विरोध लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण अवयव है। वह तो लोकतंत्र की आत्मा है। उसी से लोकतंत्र लोकतंत्र बना रहता है। मगर मोदी सरकार लोकतंत्र पर हमला कर रहीं हैं इसके खिलाफ छात्र नौजवान बर्दाश्त नहीं करेगा, भाकपा-माले सह किसान महासभा के जिला संयोजक सुनील कुमार राव ने कहा कि खेत व खेती दोनों खतरे में है मतलब देश की आजादी खतरे के दौर से गुजर रहा, इनौस नेता सुरेन्द्र चौधरी, राजन पटेल, प्रदीप पासवान, जोखू चौधरी,आजाद खाँ,मह्फुज किताब, मोदस्सीर ,रफि खाँ, बेलाल ,अफजल ,दानीश फैज, शाहबाज, सन्नी, सुकून,आदि नेताओं ने कहा कि दरअसल सरकार जनता से मुंह चुरा रही है और आंदोलन से निपटने की यह कच्छप प्रवृत्ति सरकार को आंदोलनकारियों के विपरीत खड़ा कर रही है।
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